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इंडिया न्यूज़ (चंडीगढ़, Stubble burning Continue in Punjab): पंजाब में लगातार पराली का जलना जारी है। जो दिल्ली के प्रदूषण को लगातार बढ़ा रहा है। नई तस्वीर बठिंडा से आई है। दिल्ली के लोगों के लिए डरवाने वाली तस्वीर है। जिस बड़े पैमाने पर पराली का जलना पंजाब में जारी है वह दिल्ली को और प्रदूषित करेगा, दिल्ली में पहले से ही हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
पंजाब में इस साल 15 सितम्बर से लेकर 30 अक्टूबर तक 13, 873 घटनाएं पराली जलाने की रिपोर्ट की गई है। वही साल 2021 में पंजाब में पराली जलाने की 10,229 घटनाएं हुई थी।
#WATCH | Punjab: Stubble burning continues in the fields of Bathinda#AirPollution pic.twitter.com/VNc5X4jkVr
— ANI (@ANI) November 5, 2022
पराली पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक में जलाई जाती है। लेकिन कई राज्यों ने पराली को नही जलाने के लिए कुछ कदम उठाये है। जैसे हरियाणा की सरकार ने किसानों को पराली नही जलाने के लिए और उसे सरकार को बेचने के लिए पांच हज़ार रुपये प्रति एकड़ उपलब्ध करा रही है। किसान खुशी-खुशी पराली सरकार को बेच रहे है।
Correction | Haryana: Farmers in Rohtak opt for converting stubble into fodder, reducing the number of #StubbleBurning incidents in the state
We won't burn stubble now; it led to pollution. Govt is buying our stubble at Rs 5000/acre*. We can buy fertilizers, seeds: Local farmer pic.twitter.com/Q8IFDCXgN0
— ANI (@ANI) November 5, 2022
पिछले साल हरियाणा में 6 ,987 पराली जलाने की घटना हुई थी वही इस साल तीन नवंबर तक 2377 घटनाएं दर्ज की गई है।
हरियाणा में अब दस बिजली संयंत्र हैं जो पराली से लगभग 84 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। इसके अलावा, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) के पास कुरुक्षेत्र और कैथल में दो पराली आधारित बायोमास बिजली सुविधाएं हैं जो 3.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता की है। एक मीट्रिक टन पराली से 15 मेगावाट बिजली बनाई जाती है।
हरियाणा ने आईओसीएल की पानीपत रिफाइनरी में एक 2जी इथेनॉल संयंत्र भी स्थापित किया है, जो देश की पहली ऐसी व्यावसायिक परियोजना है, जो 425.5 मीट्रिक टन मकई के खेती के बाद बचे चारे से प्रतिदिन 100 किलोग्राम इथेनॉल का निर्माण करती है। अपनी वर्तमान क्षमता के अनुसार, यह कारखाना प्रतिदिन लगभग 212 एकड़ से लगभग 4,250 क्विंटल धान की पराली की खपत करती है और प्रत्येक वर्ष लगभग 77,562 एकड़ खेत की पराली का प्रयोग करती है।
वही राजस्थान में 15 सितम्बर से 28 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 190 घटना हुई थी। वही साल 2021 में इस अवधि के दौरान सिर्फ 66 पराली जलाने की घटना सामने आई थी।
वही इस अवधि में साल 2021 उत्तर प्रदेश में 805 घटनाएं हुई थी, जबकि इस साल 632 मामले सामने आये है। मध्य प्रदेश में पिछले साल 15 सितम्बर से 28 अक्टूबर के बीच 518 पराली जलाने के मामले सामने आये थे। जबकि इस साल इस अवधि है 448 मामले आये।
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