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इंडिया न्यूज़: (Coronavirus Variants) कोरोना वायरस साल 2019 के अंत से आज तक कई बार बदलाव से गुजर चुका है और आज भी लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इसलिए जरूरी है कि सूक्ष्मजीवों में हो रहे परिवर्तनों पर पूरा ध्यान दिया जाए, ताकि भविष्य में इसी तरह की संभावित आपातकाल स्थिति से बचा जा सके। बता दें कि कोरोना जैसी महामारियों से निपटने के लिए यूके में ऐसी तकनीक बनाई जा रही है, जो भविष्य में होने वाली महामारियों का पता लगा सकेगी।
जानकारी के अनुसार, ‘वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट’ के रिसर्चर इसी पर काम कर रहें हैं और ऐसी टेक्नोलॉजी बना रहें हैं, जो श्वसन वायरस, बैक्टीरिया और फंगी के उभरने के साथ ही आनुवंशिक परिवर्तनों की निगरानी करने में मदद करेगा। इस तकनीक का नाम ‘जेनेटिक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ रखा गया है।
रिसर्चर ने दावा किया है कि वो अब भविष्य में होने वाले कोरोना के नए वेरिएंट का आसानी से पता लगा सकेगा। एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा कर बताया गया है कि एक ऐसी तकनीक बनाई जा रही है, जो फ्यूचर में आने वाले कोरोना के नए वेरिएंट्स का आसानी से पता लगा सकेगी।
रिसर्चर की टीम ने कहा, “हमने एक तकनीक बनाई है जिसके जरिए कोरोना के नए वेरिएंट के लक्षणों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। साथ ही इसकी मदद से इन्फ्लुएंजा वायरस, रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV) के भी नए वेरिएंट का आसानी से पता लगाया जा सकता है। यानी इन पैथोजन्स पर नजर रखने से नई बीमारी और महामारी के शुरू होने से पहले ही, शुरुआती चेतावनी मिल जाएगी।”
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