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अमित शाह ने बिहार दौरे के लिए सीमांचल के इलाके को ही क्यों चुना?

इंडिया न्यूज़ (पटना, Why amit shah choose simanchal for bihar visit): केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पूर्णिया पहुंच गए हैं। पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में बीजेपी की जनभावना रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उनके बिहार में आने से लालू यादव परिवार और नीतीश कुमार की पार्टी के पेट में दर्द हो रहा […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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इंडिया न्यूज़ (पटना, Why amit shah choose simanchal for bihar visit): केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पूर्णिया पहुंच गए हैं। पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में बीजेपी की जनभावना रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उनके बिहार में आने से लालू यादव परिवार और नीतीश कुमार की पार्टी के पेट में दर्द हो रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में महागठबंधन का सूपड़ा साफ होगा। साल 2025 के विधानसभा के चुनाव में भी बीजेपी बिहार में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी.

उन्होंने इस दौरान अमित शाह ने मोदी सरकार के 1.35 लाख करोड़ रुपये के काम गिनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनका हिसाब भी मांगा। शाह ने कहा कि “पीएम नरेंद्र मोदी ने 1.25 लाख करोड़ रुपये बिहार में खर्च करने का वादा किया था, उसके मुकाबले 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अब सीएम नीतीश बताएं कि उन्होंने लालू के साथ मिलकर कुर्सी बचाने के अलावा क्या काम किया है।”

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पटना एयरपोर्ट पर अमित शाह का स्वागत करते नेता.

amit shah in rally

पूर्णिया में रैली को सम्बोधित करते अमित शाह.

अमित शाह ने नीतीश कुमार के बारे में बोलते हुई कहा कि “नीतीश सबसे पहले देवी लाल गुट के साथ गए, फिर लालू के साथ कपट किया, सबसे बड़ा धोखा जॉर्ज फर्नांडीस को दिया, जॉर्ज के कंधे पर बैठकर समता पार्टी बनाई, जॉर्ज की तबीयत खराब हुई तो हटा दिया, शरद यादव को धोखा दिया, फिर भाजपा को पहली बार दोखा दिया, फिर जीतनराम मांझी को धोखा दिया, रामविलास पासवान को धोखा दिया, फिर से बीजेपी को प्रधानमंत्री बनने की लालसा में धोखा देकर लालू के साथ चले गए हैं।”

दो दिनों के दौरे में कई कार्यक्रमों में लेंगे हिस्सा

अमित शाह आज से बिहार के सीमांचल क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं। पूर्णिया में रैली को संबोधित करने के बाद वह किशनगंज में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक लेंगे। बिहार में महागठबंधन की सरकार आने के बाद पहली बार बिहार में बीजेपी का बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है। माना जा रहा है की अमित शाह सीमांचल की धरती से लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार की शुरुआत कर रहे है। अमित शाह के दौरे से बिहार के बीजेपी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है.

amit sahah rally

रैली के दौरान अमित शाह को गद्दा देते पार्टी के नेता.

इस दौरे के दौरान अमित शाह, बीएसएफ परिसर, किशनगंज में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), एसएसबी और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की समीक्षा करेंगे। वह माता गुजरी विश्वविद्यालय में चल रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के अवसर पर आयोजित ‘सुंदर भूमि’ कार्यक्रम में शामिल होंगे.

केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से पार्टी के सांसद गिरिराज सिंह को बिहार के सीमांचल (सीमावर्ती) जिलों में शाह की रैली का प्रभारी बनाया गया है। बिहार बीजेपी के कई नेता कई दिनों से सीमावर्ती पूर्णिया और किशनगंज जिलों में डेरा डाले हुए हैं और रैलियों को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों और नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं.

giriraj singh

गिरिराज सिंह को इस दौरे का प्रभारी बनाया गया है.

गृह मंत्री अमित शाह के सीमांचल दौरे को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूर्णिया से लेकर किशनगंज तक, जहां-जहां शाह गुजरेंगे, वहां भारी सुरक्षाबल की तैनाती की गई है। नेपाल सीमा से सटे थाना इलाकों में खास चौकसी बरती जा रही है। एसएसबी की टीमें संदिग्धों पर नजर रख रही है। बॉर्डर पर भी आने-जाने वाले वाहनों की चेकिंग की जा रही है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पूर्णिया में आज होने वाली रैली में सीमांचल के कुछ नेताओं के पाला बदलने की चर्चा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि महागठबंधन के कुछ नेता शाह की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि अभी तक किसी का नाम सामने नहीं आया है.

अमित शाह किशनगंज में बिहार से पार्टी के सभी केंद्रीय मंत्रियों समेत 17 लोकसभा सांसद, पांच राज्यसभा सांसद, 77 विधायक और 23 विधान पार्षदों के साथ चर्चा करेंगे.

सीमांचल को ही क्यों चुना?

बिहार का सीमांचल इलाका काफी पिछड़ा इलाका माना जाता है। सीमांचल और मिथलांचल को मिलकार मिथिला राज्य बनाने कि मांग भी चल रही है। इस इलाके के कई नेता सीमांचल के पूर्णिया को बिहार कि उपराजधानी बनाने कि मांग भी करते रहते है। इस इलाके को जो चीज महत्वपूर्ण बनाती है वह है इसका सामाजिक समीकरण और भौगोलिक स्थिति। सीमांचल में इलाकों 40 से 70 फीसदी तक मुस्लिम आबादी है.

muslim population

सीमांचल में बढ़ती मुस्लिम आबादी एक बड़ा मुद्दा है (प्रतीकात्मक तस्वीर).

सीमांचल का इलाका असम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के साथ-साथ लगा हुआ है। इस इलाके में काफी समय से बांग्लादेशियो का घुसपैठ राजनीतिक और सामाजिक रूप से एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में अमित शाह अपने सीमांचल दौरे में इस मुद्दे को उठाकर चुनाव का एजेंडा सेट कर सकते हैं। विपक्षी दल इस दौरे पर जैसे बोल रहे है उसमे साफ़-साफ़ देखा जा सकता है कि वह अमित शाह के सीमांचल के दौर पर सवाल खड़े करने के साथ सतर्क भी है.

विपक्षियों ने उठाया सवाल

आरजेडी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव इस दौरे पर कहा कि “लोगों को सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। बीजेपी के नेता राज्य में विभिन्न समुदायों के लोगों को आपस में लड़ाने के लिए उकसाते हैं। ”

इस दौरे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी काफी सावधान हैं। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर उपेंद्र कुशवाहा तक कह चुके हैं कि बीजेपी बिहार का माहौल खराब करना चाहती है.

tejashi yadav on amit shah visit

अमित शाह के दौरे पर मीडिया में बयान देते तेजस्वी यादव .

सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कई इलाको में 40 से 70 प्रतिशत तक है और यह मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ते जा रही है। जिसके चलते बीजेपी के लोग जनसंख्या के असंतुलन और घुसपैठ को मुद्दा बनाते रहे हैं और महागठबंधन के दलों पर इस इलाके में तुष्टिकरण के आधार पर राजनीति करने का आरोप भी लगाते रहे हैं.

पहले जेडीयू के साथ होने के चलते बीजेपी खुलकर हिंदुत्व कार्ड नहीं खेलती थी, लेकिन अब बीजेपी के पास खुला मैदान है। बीजेपी नेताओं के तेवर देख कर लग रहा है कि अब बीजेपी अपने मुद्दों पर बिहार में जमकर खेलना चाहती है.

pfi office in purnia

पूर्णिया में पीएफआई का दफ्तर जहां एनआईए ने मारा था छापा .

गुरुवार को भी एनआईए ने देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी कि थी, जिसमे सीमांचल के भी कई इलाके शामिल थे। माना जा रहा है कि अमित शाह का पीएफआई के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त करने का प्लान है। यह इलाका पीएफआई का मजबूत गढ़ बनता जा रहा था। उसपर इस इलाके में आतंकवाद व घुसपैठ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे है। माना जा रहा है कि इसे तोड़ने के लिए अमित शाह सीमांचल आ रहे हैं.

इस दौरे पर जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि “बीजेपी बिहार में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिशों में जुट गई है. यह बात अमित शाह की पहली यात्रा के लिए जगह के चुनाव में नजर आ गई है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा। बिहार में सांप्रदायिकता को भुनाने की बीजेपी की योजना उसी तरह विफल हो जाएगी जैसे पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में हो गई थी।”

चार लोकसभा की सीटें

2024 के लोकसभा और 2025 में बिहार के विधानसभा चुनाव कि तैयारी बीजेपी ने अभी से शुरू कर दी है। 2019 के चुनाव में बीजेपी इस क्षेत्र की 4 लोकसभा सीटों में से एक अररिया से जीत सकी थी तो एनडीए में रहते हुए जेडीयू को कटिहार और पूर्णिया सीट पर जीत मिली थी.

यह दोनों ही सीटें परंपरागत रूप से बीजेपी मानी जाती रही हैं। इसके अलावा किशनगंज सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी। अब जेडीयू ने रास्ते अलग कर लिए हैं तो बीजेपी यहां एक बार फिर से चारों सीट जीतने के लिए प्लान बना रही है। 1999 के चुनाव के बाद से ही बीजेपी को किशनगंज सीट पर जीत नही मिली है। 1999 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज़ हुसैन यहाँ से सांसद बने थे। साल 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट जदयू को चली गई थी.

24 विधानसभा की सीटें 

सीमांचल के चार जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, 2020 के चुनाव में इनमे से सात पर महागठबंधन को जीत मिली थी, एनडीए को 12 सीटे मिली थी। ओवैसी कि पार्टी एआईएमआईएम को पांच सीटे मिली थी, बाद में इसके चार विधायक राजद में शामिल हो गई थे, वही जदयू के बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद अब सीमांचल में बीजेपी के पास सिर्फ सात विधायक ही बचे है जबकि महागठबंधन के पास 16 विधायक हो गई है.

भले ही यह इलाका मुस्लिम बहुल है, लेकिन यहां अतिपिछड़ा और पिछड़ा वोटर की भी अच्छी खासी आबादी है।  आरजेडी यहां पर मुस्लिम-यादव समीकरण के जरिए मजबूत मानी जाती है तो जेडीयू मुस्लिम और अतिपिछड़े के दम पर जीतती रही है। बीजेपी कि नज़र यादव, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के वोट पर है.

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