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India News (इंडिया न्यूज़), Viral News: दिल का ट्रांसप्लांट, जहां किसी का दिल एक शरीर से दूसरे में धड़कने लगता है, चिकित्सा विज्ञान का ऐसा चमत्कार है जिसमें कई लोगों का योगदान होता है। इसमें डॉक्टरों, ब्लड बैंक टीम, अस्पताल प्रशासन, और ट्रैफिक विभाग की भूमिका अहम होती है। 8 जनवरी को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के डॉक्टरों और सहयोगी टीम ने मिलकर ऐसा ही अद्भुत कार्य किया। उन्होंने 19 वर्षीय लड़के के बीमार दिल को हटाकर 25 वर्षीय युवा का स्वस्थ दिल ट्रांसप्लांट किया। यह सर्जरी दोपहर 2 बजे शुरू होकर रात 3 बजे तक चली।
आरएमएल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पुनीत अग्रवाल ने बताया कि यह आरएमएल की दूसरी सफल हृदय ट्रांसप्लांट सर्जरी थी। 19 वर्षीय मरीज लंबे समय से हृदय रोग “राइट वेंट्रिकल की कार्डियोमायोपैथी” से पीड़ित था। इस बीमारी ने उसकी जीवनशैली को पूरी तरह से प्रभावित किया था। वह न स्कूल में पढ़ाई कर सका और न ही बच्चों के साथ खेल सका।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मरीज का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और प्राइवेट अस्पताल में 60-70 लाख रुपये के खर्च पर यह सर्जरी कराना संभव नहीं था। सरकारी अस्पतालों में ऐसी सर्जरी संभव है, लेकिन इसके बारे में जागरूकता की कमी है।
7 जनवरी को सर गंगाराम अस्पताल से सूचना मिली कि एक स्वस्थ दिल उपलब्ध हो सकता है। डोनर एक 25 वर्षीय युवा था, जिसे ब्रेन हैमरेज हुआ था और ब्रेन डेथ की पुष्टि के बाद उसके अंग दान किए जा सकते थे। मरीज के परिवार को तुरंत सूचना देकर अस्पताल बुला लिया गया।
दिल को राम मनोहर लोहिया अस्पताल तक ले जाने के लिए ट्रैफिक विभाग ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया। यह प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि दिल को सीमित समय में मरीज तक पहुंचाना जरूरी था।
ऑपरेशन दोपहर 2 बजे शुरू हुआ। डॉ. आर.के. नाथ और डॉ. पुनीत अग्रवाल ने ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व किया। वहीं, डॉ. विजय ग्रोवर, डॉ. नरेंद्र झाझरिया, और डॉ. पलाश सेन ने सर गंगाराम अस्पताल से दिल को आरएमएल तक लाने का कार्य संभाला।
एनेस्थीसिया टीम के डॉ. जसविंदर कौर और डॉ. हिमांशु महापात्रा तथा ब्लड बैंक की टीम पूरी प्रक्रिया में सक्रिय रही। यह ऑपरेशन रात 3 बजे तक चला।
सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में नया दिल धड़कने लगा। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दिल सभी मानकों पर सही काम कर रहा है। यह सुनते ही मरीज के परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
डॉ. पुनीत अग्रवाल ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल एक था—इस बच्चे को नया जीवन देना। यह सफल ऑपरेशन हमारी पूरी टीम की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।”
यह सर्जरी न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अंग दान और सरकारी अस्पतालों की क्षमता के प्रति जागरूकता का संदेश भी देती है। इस तरह के प्रयास न केवल मरीजों को नया जीवन देते हैं, बल्कि समाज में आशा और सहयोग की भावना भी बढ़ाते हैं।
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