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बिजनेस डेस्क/नई दिल्ली (Business Learning: VCs fund the early stage of the business and earn profits on the money invested as the startup grows) : बिजनेस लर्निंग सीरीज में आज बात करेंगे वेंचर कैपिटलिस्ट के बारे में। जब कोई व्यक्ति अपना कारोबार शुरू करता है तो उसे फंड यानी पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में वेंचर कैपिटलिस्ट जिसे शॉर्ट में ‘वीसी’ भी कहते हैं, बिजनेस के शुरुआती दौर में फंड करते है ताकि स्टार्टअप के बड़ा होने पर निवेश किए हुए पैसे से मुनाफा कमा सके। चलिए अब विस्तार से जानते हैं कि वेंचर कैपिटलिस्ट क्या होता है और यह एंजल इंवेस्टर से कैसे अलग होता है।
एक वेंचर कैपिटलिस्ट (वीसी) एक निजी व्यक्ति या एक फर्म होता है जो इक्विटी हिस्सेदारी के बदले हाई ग्रोथ क्षमता वाली कंपनियों को पूंजी प्रदान करते हैं। यह स्टार्टअप वेंचर या छोटी कंपनियों को फंड करके उसे विस्तार या बड़ा करने में योगदान देते हैं।
वेंचर कैपिटलिस्ट वैसे स्टार्टअप या कंपनियों में निवेश करते हैं जो एक मजबूत प्रबंधन टीम हो, एक बड़े संभावित बाजार और एक मजबूत प्रतिस्पर्धी लाभ वाले यूनिक प्रोडक्ट और सर्विस वाली कंपनी हो। वीसी ऐसी कंपनियों में निवेश करने का जोखिम इसलिए उठाते हैं कि क्योंकि अगर ये कंपनियां सफल होती हैं तो वे अपने निवेश पर भारी रिटर्न कमा सकते हैं।
अगर आप भी अपने स्टार्टअप या कंपनियों में फंडिंग की चाहत रखते हैं तो भारत में मौजूद इन वीसी के पास जाकर अपना बिजनेस आइडिया पिच कर फंडिंग उठा सकते हैं। देश में वैसे तो काफी सारे वीसी हैं जिनमें से कुछ का नाम हम आपको बताने जा रहे हैं।
फ्लूइड वेंचर (Fluid Ventures), ब्लूम वेंचर (Blume Ventures), कलारी कैपिटल (Kalaari Capitals), मैटरिक्स पार्टनर इंडिया (Matrix Partner India), नेक्सस वेंचर पार्टनर (Nexus Venture Partners), वेंचर हाईवे (Venture Highway), वेंटूर इस्ट (Ventur East), जोडियस कैपिटल (Zodius Capital), इत्यादि शामिल हैं।
अक्सर लोगों को एंजल इंवेस्टर और वीसी एक ही लगते हैं क्योंकि दोनों ही स्टार्टअप और कंपनियों को शुरुआती दौर में फंड करते हैं। हालांकि दोनों में कुछ अंतर होता है जिसके बारे में हम आपको बताते हैं।
सबसे पहला अंतर पैसों का ही होता है। एंजल इंवेस्टर और जब निवेश करते हैं तब वो अपना व्यक्तिगत पैसा लगाते हैं लेकिन वीसी अपना नहीं बल्कि दूसरों का पैसा लगाते हैं।
चूंकि वीसी दूसरों का पैसा लगाते हैं इसलिए वह किसी भी स्टार्टअप को फंड करने से पहले पूरी डिटेल, विश्लेषण और जांच पड़ताल करते हैं वहीं एंजल इंवेस्टर सिर्फ कुछ ही विश्लेषण करते हैं।
एंजल इंवेस्टर ज्यादातर स्टार्टअप के शुरु होने से पहले उसे फंड करते हैं वहीं वीसी उन स्टार्टअप या कंपनियों में निवेश करते हैं जो कुछ समय से चल रही हो।
एंजल इंवेस्टर ज्यादा रिक्स लेते हैं वहीं वीसी एंजल इंवेस्टर की तुलना में कम रिक्स लेते हैं। आमतौर पर एंजल इंवेस्टर अपने निवेश किए हुए पैसों से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं रखते वहीं वीसी उन्हीं में निवेश करते हैं जो ज्यादा मुनाफा दे सकें।
ये भी पढ़ें :- Business Learning: क्या होता है एंजल इन्वेस्टर, स्टार्टअप कंपनियों के लिए क्यों जरूरी होते हैं ये इन्वेस्टर ?
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