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India News (इंडिया न्यूज), Viral Pulse Color News: प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में मिलावट एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ सीधे खिलवाड़ करती है। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश की काली दाल से जुड़े एक मामले ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल मचाई। एक लड़की ने वीडियो साझा करते हुए दिखाया कि काली दाल को रातभर पानी में भिगोने के बाद उसका रंग उतरकर हरा हो गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि दाल को कृत्रिम रूप से रंगा गया था।
खाद्य पदार्थों, विशेषकर दालों में मिलावट के लिए नकली रंगों और केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
1. हरे मूंग या अन्य दालों को काले रंग से रंगा जाता है।
2. यह रंग पानी में भिगोने पर निकल जाता है और दाल का असली रंग सामने आ जाता है।
3. इस्तेमाल किए जाने वाले रंग अक्सर खतरनाक केमिकल्स से बने होते हैं, जो खाने के लिए उपयुक्त नहीं होते।
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नकली रंगों में आर्सेनिक और लेड जैसे जहरीले तत्व हो सकते हैं, जो लंबे समय तक सेवन करने पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
मिलावटी दाल का सेवन पेट की समस्याएं, जैसे अपच, गैस और अल्सर को बढ़ा सकता है।
केमिकल रंगों से एलर्जी हो सकती है और यह लिवर और किडनी पर बुरा असर डाल सकता है।
दाल को रातभर पानी में भिगोकर देखें। अगर पानी का रंग बदलता है या दाल का रंग उतरता है, तो वह नकली हो सकती है।
दाल के कुछ दानों को हाथ से रगड़ें। अगर रंग हाथों पर लगता है, तो दाल मिलावटी है।
मिलावटी दाल में अक्सर असामान्य गंध आती है।
खाद्य सुरक्षा विभाग को इस तरह की मिलावट को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए ताकि वे नकली और असली उत्पादों में फर्क कर सकें।
खाद्य पदार्थों में मिलावट न केवल उपभोक्ताओं को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि हमें खरीदारी में सतर्कता बरतने की जरूरत है। स्थानीय और विश्वसनीय दुकानों से ही दालें खरीदें और घर पर जांच जरूर करें। साथ ही, सरकार और प्रशासन को भी इस तरह के अपराधों पर सख्त नियंत्रण रखने की जरूरत है।
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