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Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai कोयले से ऐसे बनती है बिजली

कैसे बनती है कोयला से बिजली? (Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai) Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai :  हम आपको बताते हैं कि कोयले को पीस कर पाउडर बनाया जाता है। जिसका इस्तेमाल बॉयलर के पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है। जिससे की पानी हाई-प्रेशर स्टीम में तबदील हो जाए। फिर […]

BY: Amit Gupta • UPDATED :
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कैसे बनती है कोयला से बिजली? (Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai)

Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai : 

हम आपको बताते हैं कि कोयले को पीस कर पाउडर बनाया जाता है। जिसका इस्तेमाल बॉयलर के पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है। जिससे की पानी हाई-प्रेशर स्टीम में तबदील हो जाए। फिर बनी हुई स्टीम से टबाइन को
भाप से घुमाया जाता है, जिसे जनरेटर से जोड़ा होता है। टबाइन के घूमते ही जनरेटर में मेग्नेटिक फील्ड प्रोड्यूस होती है और जिससे कि से बिजली बनती है।

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Koyla Se Bijali Kaise Banti Hai

What is the reason for the shortage of coal? 

बेताज बादशाह होने के बाद भी विदेशों पर निर्भर क्यों भारत

विश्वभर में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करने वाले देशों में भारत का पहला स्थान माना जाता रहा है। ग्लोबल एनर्जी स्टेटिस्टिकल इयरबुक ने अपनी रिपोर्ट 2021 में बताया है कि भारत कोयला उत्पादन के क्षेत्र में चीन हर साल चीन 3,743 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर सबसे आगे हैं। भारत में प्रतिवर्ष 779 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है। इसके बाद भी भारत को 20 से 25 प्रतिशत कोयला अन्य देशों से मंगवाना पड़ रहा है।

संकट कर सकता है बिजली उत्पादन प्रभावित

हाल के समय की बात करें तो देश में कोयला के लिए हाहाकार मचने लगी है। देश मेंं कोयला से बिजली बनाने वाले संयंत्रों से 70 प्रतिशत बिजली इन्हीं कोयला से चलित पावर प्लांट से मुहैया करवाई जाती है। वर्तमान में कोयले से 137 पावर प्लांट चलते रहे हैं। जिनमें से 72 प्लांट्स के पास केवल तीन दिन स्टॉक की शेष बचा है। वहीं करीब 50 संयंत्रों के पास 4 दिन का कोयला बचा हुआ है। ऐसे में अगर जल्द ही आपूर्ति नहीं की गई तो बिजली संकट गहराने की आशंकाएं जताई जा रही हैं।

Coal Shortage in India in Hindi 

राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार, बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र समेत पंजाब सहित अन्य राज्यों ने भी केंद्र सरकार से कोयला संकट को दूर करने की मांग की है। जिस पर मोदी सरकार ने कोयला संकट की बातों को खारिज करते हुए कहा है कि इस कमी को जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।

कैलोरिफिक वैल्यू के चलते देसी, पर पड़ रहा विदेशी कोयला भारी

विदेशों से कोयला मंगवाने के पीछे बिजली उत्पादकों का तर्क है कि देसी कोयला में कैलोरिफिक वैल्यू कम पाई जाती है। वहीं विदेशी कोयला में ज्यादा होती है। जानकारी के अनुसार एक किलो कोयले को जलाने पर जितनी ऊर्जा पैदा होती है। कैलोरिफिक वैल्यू जितनी ज्यादा होगी, कोयले की क्वालिटी भी उतनी ही बढ़िया होगी।

कमी की तीन मुख्य वजह?

कोरोना के चलते काम धंधे बंद हो गई थीं। जो अब फिर से चलने लगी हैं। जिसके कारण बिजली की मांग में बढ़ोतरी होने लगी है। त्योहारी सीजन में फैक्टरियों में बिजली की खपत भी बढ़ जाती है। पहला कारण है कि विश्व बाजार में कोयला के दाम बढ़ने से देश के बिजली उत्पादक कोल इंडिया पर निर्भर हो गए हैं।

Uttar Pradesh Coal Crisis 

दूसरा है कि कोल इंडिया के अनुसार मांग बढ़ गई है उत्पादन कम हो रहा है। तीसरा कारण मानसून का देरी से जाने के चलते खदानों में काम नहीं हो पाना भी माना जा रहा है।

सरकार ने की सफाई

कोयला मंत्रालय ने कहा है कि प्लांट्स के पास 62 लाख टन कोयला का भंडारण है जो कि 4 दिनों के लिए प्रयाप्त है। वहीं कोल इंडिया के पास 400 लाख टन से अधिक कोयला पड़ा है। जो कि संयंत्रों को पहुंचाया जाएगा। दिल्ली बिजली संकट पर उर्जा मंत्री आरके सिंह ने बिजली संकट की बातोें को नकार दिया है। उन्होंने कहा है कि कोयला संकट की बातों को बेवहज तूल दिया जा रहा है। उन्होंने ने कहा 9 अक्टूबर को कोयला खदानों से 1.92 मिलियन टन कोयला प्लांट्स में भेजा दिया गया था।

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