India News (इंडिया न्यूज), Study on Abusing People: आमतौर पर गाली-गलौज को अज्ञानता की निशानी माना जाता है। सभ्य समाज में गाली-गलौज करने वाले व्यक्ति को अनपढ़, असभ्य और असभ्य कहा जाता है। हालांकि, कई शोधों में यह बात सामने आई है कि ऐसे लोग गाली-गलौज न करने वालों की तुलना में ज्यादा खुश और तनावमुक्त रहते हैं। यहां तक कि उनकी समस्याओं से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है। यही वजह है कि कई देशों में लोगों को जिम या योगा क्लास के दौरान अपना गुस्सा निकालने के लिए कहा जाता है। ऐसे जिम में लोग एक्सरसाइज करने के साथ-साथ गाली-गलौज भी करते हैं।
हमारी जिंदगी बहुत तेज हो गई है। सुबह उठते ही सबसे पहला ख्याल हमारे दिमाग में ऑफिस का आता है। जब हम तैयार होकर ऑफिस पहुंचते हैं तो एक के बाद एक टारगेट होते हैं। जब हम ऑफिस से घर लौटने लगते हैं तो ट्रैफिक जाम होता है और घर पहुंचने पर एक अलग ही तनाव। ये सभी चीजें तनाव को जन्म देती हैं। दरअसल, इस भागदौड़ में व्यक्ति को खुद के लिए समय ही नहीं मिल पाता। नतीजतन व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है, जिसके बाद वह गाली-गलौज करने लगता है। भले ही सामने वाले को यह गलत लगे, लेकिन गाली देना भी अपना गुस्सा निकालने का एक तरीका है।
Study on Abusing People
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किसी को गाली देना या उस पर गलत तरीके से अपना गुस्सा निकालना अच्छी बात नहीं है। हालांकि, कई बार आपने देखा होगा कि कुछ लोग हर छोटी-छोटी बात पर गाली देते हैं। दरअसल, वे इस बहाने से अपनी कुंठा निकाल रहे होते हैं। न्यूजर्सी की कीन यूनिवर्सिटी में इस पर एक शोध किया गया। इसके अनुसार, गाली देने से हमारी समस्याओं से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। यूनिवर्सिटी ने कुछ ऐसे छात्रों पर शोध किया जो हर छोटी-छोटी बात पर गाली देते थे। शोधकर्ताओं ने ऐसे छात्रों के हाथ बहुत ठंडे पानी में डाले। इस दौरान जो छात्र गाली दे रहे थे, वे अपने हाथ पानी में ज्यादा देर तक रखने में सफल रहे। वहीं, जो छात्र शांत थे, उन्होंने जल्द ही अपने हाथ पानी से बाहर निकाल लिए।