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धरती पर महाविनाश की आहट! 'प्रलय की मछली' का दिखना, कयामत की घड़ी के खतरनाक संकेत क्या सच में करीब है दुनिया का अंत?

शिकागो स्थित गैर-लाभकारी संगठन बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह मापने के लिए घड़ी बनाई थी कि मानवता दुनिया को नष्ट करने के कितने करीब है।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Fish of doom: क्या धरती पर कोई महाविनाश होने वाला है या कोई बड़ी घटना घटने वाली है? सोशल मीडिया हो या अन्य मीडिया, ऐसी चिंताएं हर दिन व्यक्त की जाती हैं। दुनिया के अंत को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां भी अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। लेकिन इस बार प्रकृति ने खुद तीन ऐसे संकेत दिए हैं, जिससे किसी बड़ी दुर्घटना या सर्वनाश की आशंका है।

प्रलय की मछली

स्पेन के एक शहर के पास समुद्र तट पर एक दुर्लभ ओरफिश दिखाई दे रही है। जिसे विनाश (सर्वनाश) का संकेत माना जाता है। इसे कुछ समय पहले देखा गया था और यह जमीन पर आकर मर गई। पहले दावा किया गया था कि अगर ओरफिश दिख जाए तो भूकंप से भारी तबाही मच सकती है।

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Fish of doom

इसे गहरे समुद्र के बाहर बहुत कम देखा जाता है क्योंकि इसे गहराई में रहना पसंद है। ओरफिश को प्रलय की मछली भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मछली जहां भी दिखती है, वहां कुछ बुरा जरूर होता है।

प्राकृतिक आपदाएँ

बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के संकेत: पृथ्वी पर तेज़ी से बढ़ रही विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का सीधा कारण पर्यावरणविदों और भूगर्भशास्त्रियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन है। लेकिन भविष्यवक्ताओं द्वारा वर्ष 2020 के संदर्भ में वर्णित भविष्यवाणियाँ और बाइबल की ‘बुक ऑफ़ रिवीलेशन’ का सातवाँ अध्याय जो 2020 में दुनिया के अंत की ओर इशारा करता है, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व (सर्वनाश) के लिए चिंताजनक है। जिसमें मानव जीवन भी शामिल है।

प्रलय की घड़ी

शिकागो स्थित गैर-लाभकारी संगठन बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह मापने के लिए घड़ी बनाई थी कि मानवता दुनिया को नष्ट करने के कितने करीब है। बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की स्थापना मैनहट्टन प्रोजेक्ट पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा की गई थी।

जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम (एपोकैलिप्स) विकसित करने के लिए बनाया गया था। इस संगठन की स्थापना मूल रूप से परमाणु खतरों को मापने के लिए की गई थी। लेकिन 2007 में इसने जलवायु परिवर्तन (एपोकैलिप्स) को अपनी गणनाओं में शामिल करने का फैसला किया।

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