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Trial Period Review: डायरेक्शन में आई कमी लेकिन फिल्म की कहानी ने जीता दिल

India News (इंडिया न्यूज़), Trial Period Review, दिल्ली: एक बच्चे की जिंदगी के लिए माता-पिता दोनों का ही किरदार बहुत अहम होता है। वैसे मैं आज के समय में सिंगल पैरंट होना काफी मुश्किलों भरा हो सकता है। सभी तरह की जिम्मेदारियों को संभालना और फिर अपनी खुद की छोटी-छोटी खुशियों को भूल जाना यह बहुत आम […]

BY: Simran Singh • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Trial Period Review, दिल्ली: एक बच्चे की जिंदगी के लिए माता-पिता दोनों का ही किरदार बहुत अहम होता है। वैसे मैं आज के समय में सिंगल पैरंट होना काफी मुश्किलों भरा हो सकता है। सभी तरह की जिम्मेदारियों को संभालना और फिर अपनी खुद की छोटी-छोटी खुशियों को भूल जाना यह बहुत आम से बात हो गई है। ऐसे ही कुछ सवालों से जूझते हुए आलिया सेन की फिल्म ट्रायल पीरियड है।

पापा को ट्राई करने की कहानी

आलिया सेन ने अपनी फिल्म बधाई हो से 2018 में साबित कर दिया था कि ऐसी कहानियां भी लोगों को पसंद आ सकती है। जो आम लगती है लेकिन दिल को छू जाती है। ट्रायल पीरियड ठीक कुछ इसी तरीके कहानी है इस कहानी के अंदर एक मां है ऐना जो तलाकशुदा है और आत्मनिर्भर महिला है। उसके दिन की शुरुआत उसके बच्चे रोमी से होती है और खत्म भी उसी पर होती है। टिम्मी मामा मामी घर के बगल में ही रहते हैं। जो ऐना की हेल्प कर दिया करते हैं। रोमी की बेबीसिटिंग भी वही लोग करते हैं लेकिन बच्चे को पिता की कमी बहुत ज्यादा खाने लगती है क्योंकि मां अकेले सब कुछ नहीं कर पाती जो एक बच्चा अपनी मां से चाहता है।

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Trial Period Review

कहानी के अंदर रोमी को स्कूल में कुछ बच्चे परेशान करते हैं। वही उसे अपने शॉपहॉर्लिक टीवी मामा की शॉपिंग से आईडी आता है कि यह पापा को भी ले आए। फिल्म में कहानी आगे बढ़ती हुई एक नए किरदार को एंट्री देती है। ऐसे में अब एंट्री होती है प्रजापति शंकर देवेंद्र पीडी की जो दिल्ली आकर नौकरी की तलाश करने में लगे होते हैं। ऐसे में 90% कहानी को आप ट्रेलर के जरिए ही देख सकते हैं।

फिल्म के डायरेक्शन में आई कमी

वह फिल्म के डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले और कास्ट के अभिनय की बात करी तो कहानी काफी मजेदार है लेकिन इसके डायरेक्शन में थोड़ी कमी नजर आती है। लाइट्स की भी मूवमेंट को फिल्म के अंदर देखा जाता है। बीच-बीच में कहानी काफी बोरिंग लगने लगती है और कहानी खींचता हुआ भी नजर आती है। फिल्म के डायलॉग और कहानी लोगो के दिल पर छाप नहीं छोड़ पाए पर कहानी को एक बार देखा जा सकता है। ऐसे में आलिया इस फिल्म में बधाई हो जैसा काम इस फिल्म के लिए नहीं कर पाए।

जरूर देखें फिल्म

कलाकारों की बात करें तो जेनेलिया अब भी काफी एमएचआरसी नजर आते हैं। उनके चेहरे पर क्यूटनेस की भावनाओं को देखा जा सकता है। वही फिल्म के अंदर उनका गुस्सा सही से नहीं छलक रहा ना ही उनके फेस पर कोई रोने का इमोशन रहता है। वही फिल्म के दूसरे किरदार शक्ति कपूर-शीबा चड्ढा अपने-अपने रोल में काफी अच्छे नजर आए लेकिन फिल्म में मानव कौल आपको काफी नेचुरल एक्टिंग करते हुए नजर आएंगे लेकिन उनकी बोली में उज्जैन की बोली को देखा जा सकता है। फिल्म के अंदर 4 गाने मौजूद है जोकि काफी ज्यादा पसंद किए गए हैं। कुल मिलाकर ट्रायल पीरियड एक बार देखने लायक जरूर है। आप अपने परिवार के साथ जाकर अपने करीबी सिनेमाघरों में जरुर देखें।

 

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