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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को एक प्रमुख फैसले में कहा है कि कोरोना काल में बच्चों से ली गई स्कूल फीस का 15 फीसदी माफ होगा। कोर्ट का यह फैसला कोरोना के बाद से आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की होगी। मालूम हो, हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा। उन्होंने साल 2020-21 में जो फीस ली होगी उसमें से 15 पर्सेंट माफ करना होगा। जानकारी दें, कोर्ट ने माफ की गई इस फीस को अगले सत्र में एडजस्ट करने या फीस वापस लौटाने के लिए स्कूलों को दो महीने का समय दिया है।
आपको बता दें, यह फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया। यह आदेश बच्चों के अभिभावकों की याचिका पर दिया गया। आपको बता दें, इस याचिका पर 6 जनवरी को सुनवाई हुई। बच्चों के अभिभावकों ने दलील दी थी कि साल 2020-21 में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा था। जिस दरम्यान स्कूल बंद रहे और बच्चों की केवल ऑनलाइन पढ़ाई ही हुई। क्योंकि बच्चे स्कूल गए ही नहीं इसलिए उन्हें स्कूलों में मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं मिलीं। बावजूद इसके स्कूल हर महीने पूरी फीस ही वसूलते रहे।
जानकारी दें, बच्चों के माता-पिता ने कहा था कि स्कूलों ने केवल ऑन लाइन पढ़ाई ही करवाई है कोई अन्य सुविधा नहीं दी। इसलिए ट्यूशन फीस के अलावा एक भी रुपया लेना उचित नहीं है। याचिका दायर करने वालों ने इंडियन स्कूल जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना सुविधाएं दिए फीस लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण करने जैसा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है तो यह फीस कैसे माफ होगी या अभिभावकों को कैसे वापस मिलेगी। इसके लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि साल 2020-21 में स्कूलों ने जितनी फीस ली होगी उसका 15 पर्सेंट अगले सेशन में एडजस्ट किया जाएगा। यहां यह भी सवाल उठता है कि अगर बच्चे ने स्कूल बदल दिया हो तो उस स्थिति में क्या होगा। इसके जवाब में हाईकोर्ट ने कहा है कि जो बच्चे स्कूल छोड़कर जा चुके हैं उनको 2020-21 में वसूली गई फीस का 15 पर्सेंट वापस करना होगा। कोर्ट ने माफ की गई इस फीस को अगले सेशन में एडजस्ट करने या फीस वापस लौटाने के लिए स्कूलों को महज दो माह का समय दिया है।
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