By: Ajeet Singh
• UPDATED :India News (इंडिया न्यूज), Lucknow News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2407.20 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसमें और वृद्धि अपेक्षित है। विभागीय एवं जिला स्तरीय अधिकारी इसके सुधार के लिए तेजी से प्रयास करें। राजस्व वसूली के लिए जिलाधिकारी एवं जिला खनन अधिकारी की जवाबदेही तय की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनभद्र, बांदा, कौशाम्बी एवं महोबा में खनन के दृष्टिगत राजस्व वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। कम राजस्व प्राप्त करने वाले जिलों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इनमें राजस्व वृद्धि के उपाय सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शासन, विभाग एवं जिला स्तर पर लंबित आवेदनों पर त्वरित निर्णय लेते हुए कार्यवाही बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि राजस्व वृद्धि के अन्य उपायों पर भी विचार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिलों में टास्क फोर्स द्वारा अवैध खनन रोकने के लिए समय-समय पर छापेमारी की जाए। छापेमारी के दौरान विभागीय अधिकारियों, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। इसकी नियमित रूप से वीडियोग्राफी भी कराई जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभाग के विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभागीय स्तर पर लंबित मामलों का समय पर निपटारा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जून से अगस्त के बीच साल भर की कार्ययोजना तैयार कर ली जाए। समय पर कार्ययोजना तैयार करने से काम आसानी से पूरा हो जाएगा। उन्होंने बैठक में मौजूद परिवहन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए तेजी से प्रयास किए जाएं। ओवरलोड वाहन सड़क किनारे बिल्कुल भी खड़े न होने पाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि टैक्स चोरी और ओवरलोडिंग रोकने के लिए जिलों में 55 चेक गेट बनाए गए हैं। इन पर जल्द ही इन-मोशन प्लांट लगाए जाएं। ओवरलोडिंग को हर हाल में जीरो प्वाइंट पर रोका जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य खनन तत्परता सूचकांक तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर आवश्यक सूचनाओं की उपलब्धता समय से सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों के किनारे की मिट्टी, बालू और गाद का उपयोग ईंट बनाने में किया जाए। यह पर्यावरण को बचाने में कारगर होगा। ईंट भट्टों में उपजाऊ भूमि की मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।