India News (इंडिया न्यूज), Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मकान मालिक अपनी वास्तविक आवश्यकता का निर्णायक होता है, और किरायेदार यह तय नहीं कर सकते कि मकान मालिक अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करे। जानकारी के मुताबिक, यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजित कुमार ने की, जो एक दुकान के मामले में आई थी। इस पूरे मामले में, मऊ निवासी किरायेदार श्याम सुंदर अग्रवाल ने दुकान पर कब्जा किया था, और मकान मालिक ने अपने बेटों के लिए स्वतंत्र व्यवसाय स्थापित करने के उद्देश्य से दुकान खाली कराने की मांग की थी।
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Tenant does not have the right to control the landlord’s property
जानकारी के लिए बता दें, कोर्ट ने किरायेदार के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि वास्तविक आवश्यकता साबित होने पर मकान मालिक को अपनी संपत्ति पर अधिकार है। ऐसे में, कोर्ट ने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि मकान मालिक हमेशा अपनी संपत्ति की आवश्यकता का निर्णायक होता है, और किरायेदार यह नहीं तय कर सकता कि संपत्ति का उपयोग कैसे किया जाए। फिलहाल, इस फैसले से मकान मालिकों को उनके अधिकारों को लेकर मजबूती मिली है और यह स्पष्ट कर दिया गया है कि आवश्यकता के मामले में मकान मालिक का अधिकार सर्वोपरि होता है।
बता दें कि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहारनपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया। साथ ही, कोर्ट ने टिप्पणी की कि सीएमओ की कार्रवाई में कानूनी दुर्भावना की बू आ रही है। दूसरी तरफ, कोर्ट ने सीएमओ के निजी खाते से एक लाख रुपये की वसूली का आदेश दिया, जिसे जिलाधिकारी के खाते में जमा किया जाएगा। इसके अलावा, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल हिंसा पर जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले ही इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित कर चुकी है, और इस स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
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