इंडिया न्यूज़ , प्रयागराज।
डायरिया, पीलिया और टाइफाइड आदि से यदि बचना है तो पानी उबालकर ही पीएं और पैक्ड व फास्ट फूड का सेवन एकदम बंद कर दें। यह कहना है मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय में तैनात सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन (वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग) डॉ॰ आर॰एस दूबे का। डॉ. दूबे ने बताया कि बदलता मौसम, बाजार के खाद्य पदार्थ और दूषित पानी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। यही कारण है कि आजकल डायरिया, पीलिया और टाइफाइड के मरीज बढ़ रहे हैं।
टायफायड : शरीर में कमजोरी आना, तेज सर दर्द , धीरे-धीरे बुखार चढ़ाना व तिल्ली बढ़ना।
डायरिया : बार-बार दस्त आना, पेट में ऐंठन।
पीलिया : आंख में पीलापन, पेशाब में पीलापन, पेट में दायीं ओर उपर की ओर दर्द होना, मिचली, उल्टी, त्वचा में पीलापन।
डॉ॰ आर॰एस दूबे ने बताया कि डायरिया दूषित पानी व बासी खाने के प्रयोग से होता है। छोटे बच्चे अक्सर जमीन पर पड़े वस्तु व खाद्य पदार्थ को मुंह में डाल देते हैं। इस कारण भी हानिकारक बैक्टीरिया उनके पेट में पहुँच कर उन्हें इन बीमारियों का शिकार बना सकते हैं। इस समय 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा अस्पताल पहुँच रहे हैं इसका कारण खान-पान व साफ-सफाई के प्रति उनकी लापरवाही है।
इसलिए परिजन बच्चों पर विशेष ध्यान दें। इसका शुरुवाती लक्षण बार-बार पतले दस्त आना व पेट में ऐंठन, होंठ व मुंह का सूखना, बेचैनी होना है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं, अपनी मर्जी से कोई भी दवा न लें व शरीर में पानी की कमी न होने दें। नींबू-चीनी की शिकंजी, ओआरएस का घोल, चावल का माड़, मट्ठा का सेवन करें। ध्यान रखें समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा हो जाता है।
पीलिया दूषित पानी व खाने से हो सकता है। यह लिवर की बीमारी है। इस बीमारी का सही व समय पर इलाज न होने से यह लीवर को बुरी तरह प्रभावित कर देता है। इसमें मरीज की त्वचा से लेकर आंखें, नाखून, पेशाब का रंग पीला हो जाता है। कई बार पीलिया होने के लक्षण नहीं दिखते पर जांच में पीलिया का संक्रमण पाया जाता है। पीलिया कई कारण से हो सकता है। अनुवांशिक सिंड्रोम, ब्लड डिजीज, बाइल डक्ट का ब्लॉक हो जाना, इंफेक्शन या कुछ दवाएं और हेपेटाइटिस आदि इन कारणों में शामिल हैं।
टाइफाइड का संक्रमण मरीज के माध्यम से परिवार के अन्य सदस्यों को तेजी से संक्रमित कर रहा है। टाइफाइड होने की प्रमुख वजह दूषित पेय पदार्थों का सेवन है। इस मौसम में बासी या काफी देर पहले बना खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए। कटे हुए और खुले में रखे फल खाने से भी बचना चाहिए। एसी से निकलकर सीधे धूप में जाने या धूप में लौटकर तत्काल एसी चलाने और ठंडा पानी पीने से भी दिक्कत हो सकती है। बाज़ारों में बिक रहे फल के जूस में बर्फ मिलाकर पिलाया जाता है। यह बर्फ अधिकतर अशुद्ध पानी से बनता है। इसलिए घर पर फलों को अच्छी तरह धूल कर उसका प्रयोग करें।
• मार्केट के फास्ट-फूड का सेवन बंद करें। बाज़ारों में मानक युक्त मसालों व तेल का प्रयोग न होना व दुकानों पर दूषित पानी का प्रयोग बच्चों को बीमार कर सकता हैं।
• अपनी इच्छा से कोई दवा न खाएं न खिलाएं। क्योंकि गलत दवा देने पर लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। सावधानी पूर्वक व समय पर कुशल चिकित्सक से इलाज कराएं।
• तैलीय पदार्थ न खाएं। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जी, सलाद व मौसमी सब्जी जैसे की सहजन का प्रयोग करें। दही, मट्ठा आदि को खाने में शामिल करें। हर व्यक्ति कम से कम 7 लीटर पानी प्रतिदिन पीएं।
• बाजार में बिक रहे गन्ने या फलों के जूस में उपयोग किए जा रहे बर्फ अशुद्ध पानी के बने हो सकते हैं। इसलिए बाहर खुले में बिक रहे इन फलों के जूस को पीने से बचें।
• हमेशा खाने से पहले और खाना बनाने के बाद और वाशरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरीके से धोएं।
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