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India News, (इंडिया न्यूज),लखनऊ: यूपी में राज्यसभा के लिए होने जा रहे चुनाव में अब सारी निगाहें जयंत चौधरी पर टिक गई हैं। अगर राज्यसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी और बीजेपी की बीच गठबंधन हुआ तो सीटों का गणित भी बदल जाएगा। अभी जयंत की पार्टी आरएलडी विपक्षी गठबंधन इंडिया गठबंधन के साथ है। अभी जिस तरह से जयंत के बीजेपी के साथ जाने की चर्चाएं चल रही हैं तो इसका असर भी राज्यसभा चुनाव पर पड़ेगा। राज्यसभा के लिए नामांकन की तारीख 15 फरवरी है। चुनाव 27 फरवरी को होंगे। गुरुवार को बीजेपी की ओर से राज्यसभा के नामांकन के लिए 10 नामांकन पत्र खरीदे गए हैं।
बीजेपी जल्दी ही अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकती है। मौजूदा समय यूपी में राज्यसभा की खाली हो रही 10 सीटों में 9 भाजपा और 1 सपा के पास है। इस चुनाव में विधायक वोट डालते हैं। इस समय विधानसभा में 399 विधायक हैं। राज्यसभा के लिए एक सीट जीतने के लिए इस बार तय फार्मूले के हिसाब से 37 विधायक की जरूरत होगी। इस गणित के हिसाब से एनडीए 7 और इंडिया गठबंधन 3 सीटें आसानी से जीत सकता है। लेकिन अगर चुनाव से पहले आरएलडी और बीजेपी के बीच समझौता हो गया तो सीट जीतने का गणित बदल जाएगा।
एनडीए के पास कुल 277 वोट हैं। ऐसे में 37 का कोटा सबको आवंटित करने के बाद उसके पास 18 विधायकों के वोट ज्यादा बच रहे हैं। वहीं राजा भैया का जनसत्ता दल शुरुआत से राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी का समर्थक करता आया है। इसलिए उनके भी दो वोट एनडीए के साथ रहने की उम्मीद है। तब बीजेपी के भाजपा के पास 20 अतिरिक्त वोट हो जाएंगे। वहीं, विपक्षी गठबंधन के पास मौजूदा संख्या 119 विधायकों की है। कोटा आवंटित करने के बाद भी इस समय उनके पास 6 अतिरिक्त विधायक बचेंगे।
अगर आरएलडी बीजेपी के साथ चली जाती है तो विपक्षी गठबंधन के पास विधायकों की संख्या घटकर 110 हो जाएगी। आरएलडी के नौ विधायकों के वोट विपक्ष के पास से कम हो जाएंगे। अगर सपा अपना तीसरा उम्मीदवार लड़ाना चाहेगी तो उसकी जीत के लिए सपा को एक़ और विधायक की जरूरत होगी, जिसे इस मौके पर खोजना आसान नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर आरएलडी के नौ वोट मिलाकर बीजेपी के पास 29 अतिरिक्त वोट हो जाएंगे। ऐसे में अगर बीजेपी अपना आठवां उम्मीदवार उतार देती है तो फैसला दूसरी वरीयता के वोटों से होगा। जिसमें बीजेपी के लिए संभावना बढ़ जाएगी। इसके बाद निर्विरोध निर्वाचन की बजाए चुनाव होना तय हो जाएगा।
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