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Dev Deepawali 2025: पांच अद्भुत संयोगों में जगमगाएंगे दीप, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दीप जलाने के नियम

Dev diwali 2025: पूरे देश में आज देव दीपावली का उत्सव मनाया जा रहा है, इस शुभ दिन 5 अद्भुत संयोग बन रहे है, ऐसे में जानें पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दीप जलाने के नियम क्या है.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-11-05 09:11:45

Dev Deepawali Shubh Muhurat: आज 5 नवंबर को पूरे देश में देव दिवाली का पावन पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर भगवान शिव की पूजा और गंगा आरती के साथ यह दिव्य उत्सव प्रकाश और आस्था का अद्भुत संगम बन जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं और गंगा तटों पर दीप जलाकर दिवाली मनाते हैं. इसलिए इसे “देवों की दिवाली” कहा जाता है.

देव दिवाली 2025 के पांच अद्भुत संयोग

इस बार की देव दिवाली विशेष है क्योंकि यह 5 अद्भुत योगों में मनाई जा रही है —

  • कार्तिक पूर्णिमा का शुभ संयोग.
  • प्रदोष काल में पड़ने वाली पूर्णिमा.
  • सोमवार के दिन भगवान शिव का विशेष पूजन.
  • गंगा स्नान और दीपदान का एक साथ योग.
  • ग्रहों की अनुकूल स्थिति से बढ़ी पूजा की शुभता.

इन संयोगों की वजह से इस बार की देव दिवाली अत्यंत शुभ मानी जा रही है.

शुभ मुहूर्त और पूजन का समय

देव दिवाली का पर्व कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस वर्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 4 नवंबर की रात 10:36 बजे हुआ था और इसका समापन 5 नवंबर की शाम 6:48 बजे होगा.

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:52 से 5:44 बजे तक.
  • दीपदान का श्रेष्ठ समय: शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक.

इस अवधि में दीप जलाना और भगवान शिव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है.

देव दिवाली पूजा विधि

देव दिवाली की शुरुआत सुबह भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु के पूजन से होती है. श्रद्धालु गंगाजल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, और पुष्प अर्पित करते हैं. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में दीपदान किया जाता है.

दीप जलाते समय यह मंत्र बोलना शुभ माना गया है –

“शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते॥”

“दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते॥”

देव दिवाली पर कितने दीप जलाएं और कहां रखें?

इस दिन दीप जलाने के भी विशेष नियम बताए गए हैं. नवग्रहों की कृपा के लिए 9 दीपक जलाएं.
  • भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय, विष्णु और लक्ष्मी — प्रत्येक के लिए एक-एक दीप अर्पित करें.
  • तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं.
  • यदि घर में शमी का पौधा है, तो तिल या सरसों के तेल का दीप वहां रखें.
  • घर के मुख्य द्वार पर दो दीप रखें और आंगन में रंगोली बनाकर दीप जलाएं.
  • रसोईघर में एक दीप जलाना माता अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति का प्रतीक है.
  • घर के आसपास यदि मंदिर या पीपल का पेड़ है, तो वहां भी दीप रखें.
  • अपने पितरों के लिए भी एक दीप अवश्य जलाएं.
  • हर कमरे के दरवाजे के पास एक छोटा दीप रखना शुभ माना जाता है.
  • यदि पास में कोई नदी या तालाब है, तो वहां दीप प्रवाहित करें यह पुण्य और समृद्धि दोनों देता है.

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