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India news (इंडिया न्यूज़), Ghosi By Election 2023, (Nikita Sareen), लखनऊ: पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से खाली हुई घोसी विधानसभा सीट पर पांच सितंबर को उपचुनाव होगा। भाजपा ने सपा के खाते से इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वह सपा के सुधाकर सिंह से मुकबिल होंगे। दारा सिंह चौहान 2022 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े थे। उस वक्त सपा से सुधाकर सिंह का टिकट कट गया था। इस चुनाव के नतीजे 8 सितंबर को सामने आएंगे।
इस बार बीजेपी ने यहीं से 2022 में विधायक रहे दारा सिंह चौहान को जीत के इरादे से ही चुनाव मैदान में उतारा है। बीजेपी का दावा इसलिए मजबूत है क्योंकि इस बार सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी भाजपा के ही साथ हैं। 2022 में राजभर भी समाजवादी पार्टी के साथ थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने विजय राजभर को चुनाव मैदान में उतारा था। पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान उस वक्त बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। उस समय विधानसभा चुनाव में विजय राजभर को 86214 वोट मिले थे। वह चुनाव हार गए थे।
वहीं, दारा सिंह चौहान को 1.08 लाख वोट मिले थे। इससे पहले विजय राजभर को 2019 में उपचुनाव में 68371 वोट मिले थे। दारा 2022 में घोसी से सपा विधायक बने और अब उन्होंने इस सीट से इस्तीफा देकर बीती जुलाई में फिर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। करीब 4.20 लाख वोटरों वाली घोसी विधानसभा सीट पर राजभर वोटरों की तादाद 55 हजार, चौहान वोटर 45 हजार हैं। दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या इनसे ज्यादा है। जातीय समीकरणों की वजह से सपा का दावा ज्यादा बन रहा है, पर इस इलाके में दारा सिंह चौहान की अपनी लोनिया चौहान बिरादारी में काफी गहरी पकड़ है। इस वजह से भाजपा भी उन पर दांव लगा सकती है। इस बार सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर भी बीजेपी के साथ हैं तो बीजेपी के भी समीकरण भी बन रहे हैं।
घोसी विधानसभा में होने वाला उपचुनाव सपा और भाजपा दोनों के लिहाज से अहम है। समाजवादी पार्टी के साथ यह INDIA गठबंधन की भी परीक्षा होगी। यह भी देखना होगा कि इस उपचुनाव में कांग्रेस कोई उम्मीदवार उतारती है या नहीं? अब तक कांग्रेस या बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं घोषित किया है। चूंकि, पिछली बार भाजपा ने दारा सिंह चौहान को सपा से तोड़कर अपने पाले में कर लिया था। तो अब समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा इस सीट पर फंसी है। वहीं दलित और मु्स्लिम मतदाताओं की अच्छी तादाद होने की वजह से सपा के पहले पीडीए ( पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) दांव की भी यहां पहली परीक्षा होगी। 2024 के लिहाज से भी इस सीट के जीत से पूर्वांचल पर भी काफी असर पड़ेगा।
घोसी लोकसभा सीट भी इस वक्त बसपा के पास है। इंडिया न्यूज के संवाददाता निकिता सरीन ने बताया कि इस कारण भाजपा इस सीट को जीतकर लोकसभा सीट को भी अपने पाले में करने के लिए ‘परसेप्शन’ तैयार करेगी। सपा ने भाजपा को पटखनी देने के लिए चौहानों को अपने पाले में करने की कोशिश शुरू कर दी है। हाल ही में हुए चौहान चेतना सम्मेलन से उन्हें लुभाया जा रहा है। सुधाकर सिंह 2012 के विधानसभा चुनाव में घोसी विधानसभा से जीत गए थे, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में फागू चौहान से हार गए। 2019 में जब फागू चौहान के राज्यपाल बनने के बाद यहां उपचुनाव हुए तो भी वह बीजेपी के विजय राजभर से चुनाव हार गए थे।
विधानसभा क्षेत्र घोसी में अब दूसरी बार उपचुनाव होगा। इससे पहले यहां से 2017 में चुनाव जीते भाजपा विधायक फागू चौहान को 2019 में बिहार का राज्यपाल बना दिया था। इसके चलते प्रथम बार यहां उपचुनाव हुआ। दूसरी बार अब उपचुनाव कराए जा रहे हैं।
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