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800 years old handwritten Jain texts will be preserved : संरक्षित होगा 800 साल पुराना हस्तलिखित जैन ग्रंथ

इंडिया न्यूज, लखनऊ:  Jain texts will be preserved  सत्य, अहिंसा और सत्कर्म का संदेश देने वाले जैन ग्रंथ को लेकर एक ठोस कदम उठाया गया है। नई पहल के तहत दुर्लभ ग्रंथों को संजाने की योजना शुरू की गई है। अपनी शैली को लेकर प्रसिद्ध इस 800 साल पुराने हस्तलिखित ग्रंथ को संरक्षित करने की […]

BY: India News Editor • UPDATED :
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इंडिया न्यूज, लखनऊ: 

Jain texts will be preserved  सत्य, अहिंसा और सत्कर्म का संदेश देने वाले जैन ग्रंथ को लेकर एक ठोस कदम उठाया गया है। नई पहल के तहत दुर्लभ ग्रंथों को संजाने की योजना शुरू की गई है। अपनी शैली को लेकर प्रसिद्ध इस 800 साल पुराने हस्तलिखित ग्रंथ को संरक्षित करने की तैयारी शुरू हो गई है।

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800 years old handwritten Jain texts will be preserved

उप्र जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो.अभय कुमार जैन ने बताया कि अपनी तरह का इकलौता ग्रंथ है जो मंदिर में रखा है। सदियों पुराना होने के कारण इसे वैज्ञानिक विधि से संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर में एक हजार साल पुरानी महावीर की धातु की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती हैं।

मैनपुरी मंदिर से आईं इन प्रतिमाओं को दिगंबर जैन मुनियों के सानिध्य में स्थापित किया गया। मंदिर में संगमरर के बने भगवान महावीर की साढ़े पांच फीट ऊंची प्रतिमा सभी 24 तीर्थंकरों की याद दिलाती है। 800 साल पुराने हाथ से लिखे जैन ग्रंथ समाज को एक नई विचार धारा से जोड़ता है।

मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं में मंदिर के प्रति आस्था और बढ़े इसके लिए मंदिर की कला शैली में समयानुसार बदलाव होता रहता है। मंदिर के अंदर शीशे की नक्कासी आम लोगों को अपनी ओर खींचता है।

मंदिर के बाहरी हिस्से में गेट और चहारदीवारी पत्थरों की डिजाइन जैन श्रद्धालुओं के साथ ही अन्य समुदाय के लोगों को भी अपनी ओर खींचती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जैन धर्म के ज्ञान का खजाना भी मंदिर परिसर में मिलता है। मंदिर का गुंबद की कला शैली भी पुरानी है।

मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं एक हजार से लेकर 100 साल पुरानी तक है। हाथ से लिखे ग्रंथों को संवारा गया है। 500 से 800 साल पुराने इन ग्रंथों की समय-समय पर पूजा होती है, लेकिन सुरक्षा के चलते इन्हें दिखाया नहीं जाता है।

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