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Maha Kumbh 2025 Is It True That The Water Of The Maha Kumbh Contains Dangerous Bacteria That Can Make People Seriously Ill
क्या सच में है महाकुंभ के पानी में खतरनाक बैक्टेरिया, जो कर सकता है लोगों बुरी तरह बीमार; रिपोर्ट ने सभी के उड़ाए होश
India News (इंडिया न्यूज), Maha Kumbh 2025: करोड़ों लोग महाकुंभ में गंगा स्नान कर चुके हैं और कई अभी भी प्रयागराज जा रहे हैं। लेकिन इस बीच गंगा को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। जिसमें बताया गया है कि इसके अंदर फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया बहुत ज्यादा फैल गया है। इसके स्वास्थ्य पर कई […]
India News (इंडिया न्यूज),Maha Kumbh 2025: करोड़ों लोग महाकुंभ में गंगा स्नान कर चुके हैं और कई अभी भी प्रयागराज जा रहे हैं। लेकिन इस बीच गंगा को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। जिसमें बताया गया है कि इसके अंदर फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया बहुत ज्यादा फैल गया है। इसके स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। लाखों करोड़ों लोगों ने महाकुंभ मेला में आस्था की डुबकी लगाई। माना जाता है कि गंगा स्नान करने से पाप धुल जाते हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गंगाजल में ऐसे गुण होते हैं जो उसे खराब नहीं होने देते। इनके अंदर बीमार करने वाले बैक्टीरिया व वायरस नहीं पैदा हो पाते। लेकिन महाकुंभ के दौरान गंगा को लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने चौंका दिया है।
प्रयागराज में मौजूद गंगा बैक्टीरिया से प्रदूषित- रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीपीसीबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में मौजूद गंगा बैक्टीरिया से प्रदूषित है। इस बैक्टीरिया का नाम फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया है, जो आमतौर पर इंसानों और जानवरों के मल और वहां से सीवेज के पानी में मिलता है। यह पानी की क्वालिटी को बिगाड़ देता है और शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
लोगों को किस तरह की दिक्कतें हो रही
रिपोर्ट के मुताबिक नहाने के पानी की 100 ml में 2500 यूनिट फेकल कोलीफॉर्म की अधिकतम मात्रा हो सकती है। लेकिन प्रयागराज के क्षेत्र में गंगा के अंदर इससे ज्यादा मात्रा मिली है। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया कि कुंभ से आने वाले लोगों को किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं।
क्या है फेकल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया
कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक समूह है, जिसमें कई सारे बैक्टीरिया आते हैं। वॉशिंगटन स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ (WSDOH) के मुताबिक यह बैक्टीरिया इंसानों व जानवरों की आंतों व मल में होता है। यह खुद कोई खतरनाक बीमारी नहीं करता है, लेकिन पानी में इसकी मौजूदगी दूसरे खतरनाक बैक्टीरिया का संकेत हो सकती है। बीमर करने वाले अधिकतर पैथोजेन इंसानों व जानवरों के मल से आते हैं।
ये बैक्टीरिया भी हो सकते हैं
WSDOH के मुताबिक टोटल कोलीफॉर्म का एक प्रकार फेकल कॉलीफॉर्म है और उसका एक प्रकार ई. कोली बैक्टीरिया है। टोटल कोलीफॉर्म मिट्टी या दूसरे वातावरणीय कारकों से आ सकता है। मगर फेकल कोलीफॉर्म और ई. कोली मल से आता है। ई. कोली का हर स्ट्रेन खतरनाक नहीं होता, अक्सर ई. कोली 0157:H7 को बीमार करने वाला देखा जाता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार ने ANI की वीडियो में कहा, ‘कुंभ से वापिस आने वालों में स्वास्थ्य समस्याएं दिख रही हैं। लेकिन इतने बड़े स्तर और भीड़ के कार्यक्रम में ऐसा होने की उम्मीद थी, मगर फिर भी मामले बहुत कम दिख रहे हैं, जो बताते हैं कि वहां के इंतजाम काफी अच्छे हैं। लेकिन हां, निश्चित रूप से कुछ लोगों में गैस्ट्रोएन्टेराइटिस की समस्या दिख रही है। जिसमें उन्हें दस्त, उल्टी आदि हो रही है।’
डॉक्टर ने कहा कि लोगों में वायरल बुखार और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षण जैसे नाक बहना, छींकना, खांसी और जुकाम दिख रहे हैं। जो कि ठंड में नहाने के स्वाभाविक परिणाम हैं। इसके अलावा लोगों को स्किन रैशेज की दिक्कत दिख रही है।
डॉक्टर ने कहा कि लोगों को पीने का पानी खुद लाना चाहिए। आप घर से ले जा सकते हैं या बोतल खरीद सकते हैं। दूसरी बात यह है कि स्वस्थ जगह का खाना खाएं और कच्चे खाने की बजाय पका हुआ खाना खाएं। मास्क पहनें और संभव हो तो लोगों से उचित दूरी बनाकर रखें। गंगा में डुबकी लगाते समय पानी न पिएं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इंडिया न्यूज़ इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।