Hindi News / Uttar Pradesh / Mahakumbh 2025 Beyond Social Media Going Viral Like Seasonal Fever

सोशल मीडिया से इतर भी महाकुंभ, वायरल होना भी सीजनल बुखार जैसा

India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: अपनी कुछ खूबियों के कारण सोशल मीडिया पर वायरल चंद लोगों से इतर भी महाकुंभ है। वहीं महाकुंभ असली और स्थाई है। अनादि काल से चली आ रही अपनी परंपरा भी है। इस असली वाले महाकुंभ में वे 10 लाख कल्पवासी हैं जो हर रोज तड़के स्नान करने के […]

By: Ajeet Singh

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India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: अपनी कुछ खूबियों के कारण सोशल मीडिया पर वायरल चंद लोगों से इतर भी महाकुंभ है। वहीं महाकुंभ असली और स्थाई है। अनादि काल से चली आ रही अपनी परंपरा भी है। इस असली वाले महाकुंभ में वे 10 लाख कल्पवासी हैं जो हर रोज तड़के स्नान करने के बाद पूरा समय जप और सत्संग में बिताते हैं। इसमें साधु-संतों के वे अखाड़े या शिविर हैं जिनमें लगातार धर्म, अध्यात्म, योग आदि विषयों पर लगातार प्रवचन चल रहा है।

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Mahakumbh 2025

उनमें हो रहे मंत्रोच्चार की मधुर धुन से ऊर्जा मिल रही है। जो अनवरत लोगों के लिए लंगर चला रहे हैं। असली महाकुंभ का यही असली अमृत है, जो लगातार बरस रहा है। छकने वाले इसे पूरे मन से छक भी रहे हैं। वायरल होना तो वायरल बुखार की तरह है, जो कुछ दिनों में उतर जाएगा। लगभग उतर भी चुका है।

सत्संग का असर स्थाई होता है

संगम में पुण्य की डुबकी के बाद संतों के सान्निध्य में किए गए सत्संग का असर तो स्थाई होगा। रामचरितमानस में तुलसीदास ने भी कई जगहों पर सत्संग की महिमा और महत्ता का वर्णन किया है। एक जगह वह कहते हैं, “बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई”। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए एक अन्य जगह पर वह कहते हैं, “सतसंगत मुद मंगल मूला। सोई फल सिधि सब साधन फूला”। आगे वह इसकी महत्ता बताते हुए कहते हैं, सत्संग से व्यक्ति में विवेक आता है।

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यह विवेक मोह और भ्रम को दूर करता है। इनके दूर होने से भगवान के प्रति अनुराग बढ़ जाता है। (होइ बिबेकु मोह भ्रम भागा। तब रघुनाथ चरन अनुरागा)। इस लिहाज से महाकुंभ व्यक्ति में विवेक जगाने का महापर्व भी है। खास बात ये है कि अमृतपान का ये सुअवसर सबके लिए और समान रूप से है। आप जितना चाहें, जब तक चाहें इसका लाभ उठा सकते हैं।

जनकेंद्रित राजधर्म से महाकुंभ को उत्कृष्ट बनाने का सन्यासी सीएम का प्रयास

एक सन्यासी योगी आदित्यनाथ, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, ने जनकेंद्रित राजधर्म से चीजों को और व्यवस्थित एवं सुंदर बनाने का हर संभव प्रयास किया है। उसी का नतीजा है कि देर रात अगर ऊपर से महाकुंभ नगर को देखें तो लगता है, मां गंगा के सफेद रेती के कैनवास पर किसी ने रंग-बिरंगे टेंट और जगमग रौशनी, नावों और गंगा-जमुना के अविरल जल का बतौर पेंट प्रयोग कर बेहद खूबसूरती से एक बेहद उम्दा पेंटिंग उकेर दी हो।

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