India News (इंडिया न्यूज),Mathura Barsanaholi: ब्रज की होली का रंग पूरे देश-दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है, लेकिन जब बात बरसाना की लट्ठमार होली की आती है, तो इसकी धूम कुछ अलग ही होती है। कृष्ण काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी उमंग और उत्साह के साथ निभाई जाती है।
बता दें, इस साल 8 मार्च को नंदगांव के हुरियारे बरसाना पहुंचेंगे और यहां की हुरियारिनों से हंसी-ठिठोली के बीच लाठियों की बौछार झेलेंगे। बरसाना की रंगीली गलियों में अभी से होली की तैयारियां चरम पर हैं। महिलाएं अपनी लाठियों को तेल पिला रही हैं, जिससे वे और मजबूत और आकर्षक बन जाएं। वहीं, हुरियारे भी अपनी ढालों को तैयार कर रहे हैं, ताकि प्रेम भरी लाठियों का सामना कर सकें। इस ऐतिहासिक आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक बरसाना पहुंच रहे हैं।
Mathura Barsanaholi: मथुरा में बरसाना की लट्ठमार होली का आगाज
बरसाना की हुरियारिनें इस विशेष होली के लिए एक महीने पहले से तैयारी शुरू कर देती हैं। खान-पान में बदलाव कर खुद को और अधिक ताकतवर बनाती हैं। दूध, बादाम और मेवे का सेवन बढ़ा देती हैं, ताकि खेल के दौरान उनकी ऊर्जा बनी रहे। इसी तरह, बरसाना की गलियों में उत्सव का माहौल है—गुलाल और रंगों से लोग पहले ही सराबोर हो चुके हैं।
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फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हर साल यह अनोखी होली मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 8 मार्च को पड़ रही है। इस दिन नंदगांव के हुरियारे बरसाना पहुंचते हैं और प्रेमपूर्वक होली खेलते हैं, लेकिन उन्हें यहां की महिलाओं की लाठियों का सामना भी करना पड़ता है। यह पूरी परंपरा राधा-कृष्ण के प्रेम और ठिठोली से जुड़ी हुई मानी जाती है।
बरसाना के साथ ही पूरे ब्रज में होली का खुमार छाया हुआ है। वृंदावन के मंदिरों में रंगोत्सव की धूम मची है। बरसाना के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं। श्रद्धालु कृष्ण की नगरी में इस रंगीले त्योहार का हिस्सा बनने के लिए जुट रहे हैं। बरसाना की लट्ठमार होली सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि प्रेम, परंपरा और आस्था का संगम है, जो हर साल इस पवित्र भूमि को अनोखे रंगों से सराबोर कर देता है।