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महाकुंभ में मौनी महाराज ने ले ली भू समाधि, मचा हड़कंप

India News (इंडिया न्यूज)mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की घटना से दुखी परमहंस पीठाधीश्वर शिवयोगी मौनी महाराज ने भूमि समाधि ले ली है। शिवयोगी मौनी महाराज ने 3 घंटे तक 10 फीट गहरे गड्ढे में यह भूमि समाधि ली। भूमि समाधि से पहले मौनी बाबा ने विधिवत पूजा-अर्चना की। उन्होंने […]

BY: Ashish kumar Rai • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज)mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की घटना से दुखी परमहंस पीठाधीश्वर शिवयोगी मौनी महाराज ने भूमि समाधि ले ली है। शिवयोगी मौनी महाराज ने 3 घंटे तक 10 फीट गहरे गड्ढे में यह भूमि समाधि ली। भूमि समाधि से पहले मौनी बाबा ने विधिवत पूजा-अर्चना की। उन्होंने रुद्राक्ष की माला का मुकुट उतारकर एक तरफ रख दिया।

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10 फीट गहरे गड्ढे में ली भू समाधि

मौनी बाबा ने शुक्रवार रात भू समाधि ली। वे अब तक 55 से अधिक बार भू समाधि ले चुके हैं। यह उनकी 57वीं भू समाधि है। मौनी बाबा ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ की घटना से वे बेहद दुखी हैं। भू समाधि के जरिए वे कामना करना चाहते हैं कि महाकुंभ में ऐसी दुखद घटना दोबारा न हो। महाकुंभ में दुनियाभर से लोग आ रहे हैं। मैं जमीन के अंदर तपस्या करूंगा, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।

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उन्होंने महाकुंभ क्षेत्र में सेक्टर-6 स्थित अपने शिविर में भू समाधि ली। मौनी बाबा के शिविर में रुद्राक्ष की माला के जरिए द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्वरूप तैयार किया गया है। महाकुंभ में पहली बार मौनी बाबा ने 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की माला से 12 दिव्य ज्योतिर्लिंग की स्थापना की है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग 11 फीट ऊंचा, 9 फीट चौड़ा और 7 फीट मोटा है।

सालों किया मौन व्रत

महाराज शिवयोगी ने 13 साल तक मौन व्रत किया, इसीलिए लोग उन्हें मौनी महाराज कहते हैं। उनका जन्म प्रतापगढ़ के पट्टी इलाके में हुआ था। यहीं पर उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। इसके बाद वे जीविकोपार्जन के लिए मुंबई चले गए। फिर सांसारिक जीवन से विरक्त होकर उन्होंने संन्यास ले लिया।

1989 में किया था मौन व्रत

मौनी महाराज अमेठी के बाबूगंज स्थित सगरा आश्रम के प्रमुख हैं। महाराज ने राष्ट्र कल्याण की भावना और भगवान शिव के दर्शन की अभिलाषा से 1989 में मौन व्रत किया था। मौन व्रत और भगवान शिव की आराधना का सिलसिला 2002 तक जारी रहा। तब से सभी उन्हें मौनी महाराज के नाम से जानने लगे।

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