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UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा भरण पोषण का एक पक्षीय आदेश सही नहीं

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : December 21, 2023, 1:55 pm IST

India News (इंडिया न्यूज),UP News: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय द्वारा भरण पोषण के लिए पारित आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पक्षकार को सुने बिना एकतरफा आदेश पास करना सही नहीं है। हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए पत्नी को 6 हजार और नाबालिग को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश पारित किया।

वसूली करने के वारंट को रद्द

हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी (CRPC) की धारा 125 के तहत परिवार न्यायालय दूसरे पक्षकार को सुने बिना एकतरफा आदेश पारित नहीं कर सकता है। कोर्ट ने याची के खिलाफ परिवार न्यायालय आगरा द्वारा पारित आदेश और भरण-पोषण के बकाए की रकम को वसूली करने के वारंट को रद्द कर दिया है।

अर्जी को नए सिरे से निस्तारित

परिवार न्यायालय आगरा को निर्देश दिया कि वह मामले की फिर से सुनवाई करते हुए 6 महीने में भरण-पोषण की अर्जी को नए सिरे से निस्तारित करें। जबकि कोर्ट ने याची को उससे अलग रह रही उसकी पत्नी व नाबालिग बेटे के भरण-पोषण के लिए 5 हजार रुपये प्रतिमाह और 1 लाख रुपये बकाए की राशि का भुगतान करने का आदेश भी दिया।

भरण-पोषण की अर्जी दाखिल

यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने ललित सिंह की पुनर्विचार याचिका पर को निस्तारित करते हुए दिया है। यदि याची की पत्नी उत्पीड़न के आरोप में अलग रहने लगी और उसने आगरा परिवार न्यायालय के समक्ष भरण-पोषण की अर्जी दाखिल की।

बकाया राशि के भुगतान का आदेश

कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए पत्नी को 6 हजार और नाबालिग को 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश पारित किया। इसके साथ ही 2 लाख, 52 हजार रुपये भरण-पोषण की बकाया राशि के भुगतान का आदेश दिया। याची ने जब राशि नहीं दी तो पत्नी ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए अर्जी दाखिल की, इस पर परिवार न्यायालय ने वसूली वारंट जारी कर दिया।

सुनवाई की तारिख 18 जनवरी तय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर महानिदेशक पुलिस उत्तर प्रदेश मुख्यालय लखनऊ को निर्देश दिया है कि ग्रेच्युटी भुगतान में देरी के कारण बकाया देयों का भुगतान 30 दिन में कर अनुपालन हलफनामा दाखिल करें अन्यथा कोर्ट इसे गंभीरता से लेगी। याचिका की अगली सुनवाई की तारिख 18 जनवरी तय की गई है।

अहमद ख़ान की याचिका की सुनवाई

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कमाल अहमद ख़ान की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। विनोद कुमार पुलिस अधीक्षक मैनपुरी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि याची का पूरा भुगतान कर दिया गया है। ग्रेच्युटी भुगतान में देरी पर ब्याज के भुगतान का प्रकरण अपर महानिदेशक पुलिस को प्रेषित किया गया है। याची 21 अक्तूबर 20 को सेवानिवृत्त हो चुका है। उसके खिलाफ आपराधिक केस के कारण भुगतान रुका रहा। जबकि, उसे आपराधिक केस में बरी कर दिया गया है।

3 साल की देरी पर ब्याज की मांग उचित

जबकि याची का कहना है कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने पर किसी को सजा मिले बगैर दंडित नहीं किया जा सकता। याची समस्त सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान पाने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा ग्रेच्युटी भुगतान में 3 साल की देरी पर ब्याज की मांग उचित है। कोर्ट ने अपर महानिदेशक पुलिस को 18 जनवरी तक का समय दिया है।

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