India News (इंडिया न्यूज), Dehradun News: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जिसे “सिटी ऑफ लव” कहा जाता है, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध है। समय के साथ इस शहर को कई नामों से जाना गया, जैसे द्रोणनगरी, केदारखंड और दून घाटी। लेकिन आखिरकार इसे “देहरादून” नाम कैसे मिला? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
देहरादून का यह ऐतिहासिक सफर इसे न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के महत्वपूर्ण शहरों में शामिल करता है।
महाभारत काल में इस क्षेत्र को “द्रोणनगरी” कहा जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कौरव और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने यहां कठोर तपस्या की थी। यही कारण है कि इस भूमि को उनके नाम पर द्रोणनगरी कहा गया। ऐसा भी कहा जाता है कि उनके पुत्र अश्वत्थामा का जन्म भी यहीं हुआ था।
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प्राचीन ग्रंथों में भी देहरादून का उल्लेख मिलता है। स्कंद पुराण में इसे “केदारखंड” कहा गया है, क्योंकि यह क्षेत्र केदारनाथ धाम से जुड़ा हुआ था और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता था।
देहरादून चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ एक सुंदर शहर है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण इसे “दून घाटी” भी कहा जाता था। यह शहर शिवालिक पर्वत श्रृंखला और हिमालय की गोद में बसा है, जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
वर्तमान नाम “देहरादून” सिखों के गुरु राम राय से जुड़ा है। वर्ष 1699 में, गुरु राम राय अपने अनुयायियों के साथ पंजाब के किरतपुर से यहां आए और इस स्थान पर “डेरा” (शिविर) स्थापित किया। उनके अनुयायियों ने इसे “डेरा दून” कहना शुरू कर दिया, जो समय के साथ “देहरादून” बन गया।
देहरादून आज केवल ऐतिहासिक रूप से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और शैक्षणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां श्री गुरु राम राय दरबार साहिब, टपकेश्वर महादेव मंदिर जैसे धार्मिक स्थल हैं। साथ ही, यह भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों का केंद्र भी है।