India News (इंडिया न्यूज), Kailash Mansarovar Yatra: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर यात्रा का रूट फाइनल होने जा रहा है। अब नेपाल या चीन जाए बिना कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी की जा सकेगी। नया रूट 1 साल में बनकर तैयार हो जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस संबंध में बड़ा अपडेट दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान सरकार ने इस रूट का जिक्र किया है। दरअसल, इस नए रूट के जरिए भारतीय नागरिक नेपाल या चीन जाए बिना कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे। पिथौरागढ़ से मानसरोवर के लिए सीधा रूट बनाया जा रहा है।
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Kailash Mansarovar Yatra
नए रूट के बनने से कैलाश मानसरोवर वाले यात्रियों का समय भी बचेगा और परेशानी भी कम होगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में जानकारी देते हुए कहा कि इस रूट के निर्माण में कई चुनौतियां आई थीं, लेकिन -5 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर के जरिए मशीनें पहुंचाकर काम जारी रखा गया। इस रूट पर 85 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कुछ दिनों से इस पर काम बंद था। भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों की पिछली बैठक के बाद सड़क निर्माण की गति बढ़ाने पर चर्चा हुई है। इसके बाद नितिन गडकरी का बयान सामने आया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि आपने दो-चार दिन पहले पिथौरागढ़ के रास्ते मानसरोवर जाने का रास्ता खुलने की खबर देखी और पढ़ी होगी। हमारे विदेश मंत्रालय की चीन के साथ बैठक हुई है। बैठक में अपमन सरोवर का रास्ता खोलने का फैसला लिया गया है। कोरोना काल में यह रास्ता बंद कर दिया गया था। तब से इस रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू नहीं की गई थी। इसके साथ ही नितिन गडकरी ने कैलाश मानसरोवर मार्ग को लेकर भी खुशखबरी दी। उन्होंने आगे कहा कि सड़क खुलने से ज्यादा खुशी की खबर यह है कि अब आपको मानसरोवर जाने के लिए नेपाल या चीन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब हम पिथौरागढ़ से सीधे 35 से 40 किलोमीटर तक नई सड़क बना रहे हैं। यह नया मार्ग मानसरोवर के लिए बनाया जा रहा है। इसमें चीन की 35 किलोमीटर सड़क का ही इस्तेमाल किया जाएगा। अब मानसरोवर का मार्ग 1 साल के अंदर खुल जाएगा।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा अभी नेपाल और चीन से होकर होती है, जिसमें 15-20 दिन लगते हैं। यह रास्ता काफी कठिन है। भूस्खलन और ऊंचाई के कारण यह यात्रा शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों के लिए ही संभव है। 1998 में प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना प्रोतिमा गौरी बेदी समेत 180 से अधिक तीर्थयात्रियों की भूस्खलन में मौत हो गई थी।
उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर तक बनाए जा रहे इस नए मार्ग को तीन खंडों में बांटा गया है। पहला खंड पिथौरागढ़ से तवाघाट तक 107.6 किलोमीटर लंबा है। दूसरा खंड तवाघाट से घटियाबाग तक 19.5 किलोमीटर तक बनी डबल लेन सड़क है। तीसरा खंड घटियाबाग से लिपुलेख दर्रे तक 80 किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 में इस सड़क के पहले हिस्से का उद्घाटन किया था। इससे यात्रा का समय 5 दिन से घटकर 2 दिन रह गया। घटियाबाग से लिपुलेख तक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। अब इसे 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कैलाश मानसरोवर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है। श्रद्धालुओं का मानना है कि कैलाश पर्वत शिव का निवास स्थान है और देवी-देवता मानसरोवर झील में स्नान करते हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा पर जाते हैं। सरकार की इस परियोजना से न सिर्फ श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम होगी बल्कि सुरक्षा भी बढ़ेगी।
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