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Kolkata Metro: कोलकाता में अब पानी के अंदर भी दोड़ेगी मेट्रो, सिर्फ इतने सेकेंड में पार करेगी हुबली नदी

Rajesh kumar • LAST UPDATED : March 5, 2024, 1:10 pm IST

India News(इंडिया न्यूज),Kolkata Metro: चाहे दिल्ली हो, मुंबई हो या बेंगलुरु, हर जगह आपने मेट्रो को अंडरग्राउंड या एलिवेटेड देखा होगा। भारत में पहली बार नदी के अंदर से गुजरेगी मेट्रो। कोलकाता मेट्रो का दावा है कि इससे घंटों का सफर मिनटों में पूरा हो जाएगा। आप हुबली नदी को मेट्रो से सिर्फ एक मिनट में पार कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वॉटर टनल मेट्रो को जनता को समर्पित करने जा रहे हैं।

ईस्ट वेस्ट मेट्रो टनल कोलकाता मेट्रो द्वारा निर्मित एक पानी के नीचे नदी सुरंग है। कोलकाता मेट्रो ने हाल ही में अंडरवॉटर मेट्रो ट्रेन का ट्रायल किया है। यह सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ती है। देश में ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब नदी के अंदर मेट्रो चलेगी।

पानी के नीचे बना 520 मीटर लंबा सुरंग

सुरंग सतह से लगभग 33 मीटर नीचे है। हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4।8 किलोमीटर लंबा है। इसमें 520 मीटर की पानी के नीचे सुरंग है। आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजर सकेंगे। कोलकाता मेट्रो की इस सुरंग को लंदन और पेरिस के बीच चैनल टनल से गुजरने वाली यूरोस्टार ट्रेनों की तरह बनाया गया है। एफकॉन्स ने सुरंगों के निर्माण के लिए अप्रैल 2017 में खुदाई शुरू की और उसी साल जुलाई में इसे पूरा किया।

नदी की गहराई में बनाया गया अनोखा सुरंग

इस अंडरवॉटर मेट्रो टनल का निचला हिस्सा पानी की सतह से 33 मीटर नीचे है। यह किसी इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है। इसके निर्माण में वॉटरप्रूफिंग और सुरंग डिजाइनिंग प्रमुख चुनौतियां थीं। सुरंग के निर्माण के दौरान 24×7 कर्मचारियों को तैनात किया गया था। सुरंग बनाने के लिए टीबीएम (ट्यूनल बोरिंग मशीन) से खुदाई की गई। नदी में प्रवेश करने से पहले टीबीएम रिसाव-रोधी प्रणालियों से सुसज्जित थे। यह सुरंग 120 साल की सेवा के लिए बनाई गई है। नदी की सुरंग में पानी की एक बूंद भी नहीं जा सकती।

हुबली नदी पर पहले से ही है एक केबल-आधारित पुल

विद्यासागर सेतु भारत का सबसे लंबा केबल-आधारित पुल है और एशिया के सबसे लंबे पुलों में से एक है। इसकी लंबाई 823 मीटर (2700 फीट) है। हुगली नदी पर बना यह दूसरा पुल है। पहला हावड़ा ब्रिज जिसे रवींद्र सेतु के नाम से भी जाना जाता है। हुगली नदी, जिसे भागीरथी-हुगली, गंगा और कटी-गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह गंगा नदी की सहायक नदी के रूप में पश्चिम बंगाल में लगभग 260 किलोमीटर तक बहती है। यह गिरिया, मुर्शिदाबाद के पास पद्मा और हुगली में विभाजित हो जाती है।

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