इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
Yadon Ki Gathri मनमोहन गुप्ता मोनी का काव्य संग्रह “यादों की गठरी” इन दिनों चर्चा में है। इस पुस्तक में मोनी ने बचपन से लेकर अब तक की विभिन्न यादों को संजोकर रखा है। पुस्तक को चार खंडों में विभक्त किया गया है। पहला खंड काव्यांजलि है। इसमें सभी कविताएं छंदमुक्त हैं। व्यवस्था के खिलाफ और हर दौर की स्थितियों को लेकर भी इसमें कई रचनाएं हैं।
अखबारी दुनिया से जुड़ा होने के कारण मोनी ने पंजाब में आतंकवाद के माहौल को करीब से देखा। इसका प्रभाव भी कई रचनाओं में दिखाई देता है। देश भर में आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ के तहत अमृत महोत्सव मनाए जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मोनी ने इसमें अपनी 10 रचनाएं सम्मिलित की हैं।
“यादों की गठरी” में कुल 89 रचनाएं सम्मिलित हैं जिन्हें चार खंडों में बांटा गया है। पहला खंड काव्यांजलि, दूसरा गीत/ ग़ज़ल/भजन , तीसरा अमृत महोत्सव और चौथा बंद कली सा है। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित लेखक मनमोहन गुप्ता मोनी की यह आठवीं पुस्तक है। इससे इससे पूर्व उनकी कहानी व नाटकों की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
यह उनकी पहली काव्य कृति है। मूलत: वे कहानीकार व नाटककार के रूप में जाने जाते हैं। उनके नाटकों का मंचन देश भर में होता रहा है। हाल ही में उन्होंने हिंदी फिल्म “शामिल” के लिए भी गीत लिखे हैं। यह फिल्म शीघ्र ही रिलीज होने वाली है। मोनी की कई टेलीफिल्मों और सीरियल का प्रसारण हो चुका है।
राह थी बेहद कठिन,
कोई न था साथी मेरा।
उस बियाबां में मुझे केवल
था सन्नाटा मिला।
मैं अकेला चल पड़ा था,
रास्ते में दुख मिला, फिर दर्द,
उसके बाद पीड़ा।
और इस तरह इक काफिला
बनता गया ।
मैं अकेला डर रहा था
अब अकेला था कहां।
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