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आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक रोग की समस्या होना एक आम समस्या है। वहीं इस समस्या से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी जूझ रहे हैं। बताते हैं कि आमतौर पर मनाव को मानसिक रोग की समस्या तब होती है, जब व्यक्ति दबाव लेने लगता है। जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगता है। मानसिक रोग की समस्या शारीरिक रूप से कमजोर करने के साथ-साथ व्यक्ति को भावनात्मक रूप से भी आहत करती है। वहीं, कार्यशैली और संबंधों पर बुरा असर पड़ने की वजह से उनमें जीने की इच्छा भी खत्म होने लगती है। नतीजतन, मानसिक रोग से पीड़ित अधिकतर व्यक्ति आत्महत्या की ओर कदम बढ़ा लेते हैं। तो चलिए जानते हैं के लक्षण क्या हैं व इससे बचने के उपाए।
Mansik Swasthya Kya Hai In Hindi : किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का संबंध उसकी भावनात्मक (इमोशनल), मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) और सामाजिक (सोशल) स्थिति से जुड़ा होता है। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर व्यक्ति के तनाव को संभालने और जीवन से जुड़े जरूरी विकल्प के चयन पर भी पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपन, किशोरावस्था, वयस्कता और बुढ़ापे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Mansik Swasthya Kya Hai In Hindi : मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण इसलिए है। क्योंकि इसके बिना जीवन के सभी कार्य प्रभावित होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य यानी मेंटल हेल्थ किन कामों में सहायक भूमिका निभाता है। तनाव से जूझने। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने। लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखने। सामाजिक कार्य में योगदान देने। प्रोडक्टीव काम करने के लिए। अपनी क्षमता को जानने में स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के जोखिम से बचने के लिए।
वैसे तो मानसिक स्वास्थ्य विकार कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ सामान्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रकार में ये शामिल हैं:
चिंता (एंग्जायटी): मानसिक स्वास्थ्य संबंधी एक विकार चिंता भी है। चिंता के कारण वास्तविक या काल्पनिक स्थितियों में अत्यधिक चिंता या भय उत्पन्न हो सकता है।
अवसाद (डिप्रेशन): यह मानसिक समस्या सामान्य उदासी या दुख से अलग होती है। इसमें व्यक्ति को काफी दुख, क्रोध, निराश या फ्रस्टेशन हो सकती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर: बाइपोलर विकार को पहले मैनिक डिप्रेशन कहा जाता था। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को बारी-बारी से मेनिया (असामान्य रूप से भावनाओं को प्रकट करना) और अवसाद होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर: यह विकार भोजन और शरीर की छवि से संबंधित जुनूनी व्यवहार होता है। इस समस्या में व्यक्ति बहुत कम खाता है या फिर जरूरत से ज्यादा खाने लगता है।
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी यह विकार ऐसी घटनाओं के बाद उत्पन्न होता है, जिसकी कभी आशा न की गई हो। इसमें किसी तरह की लड़ाई, किसी अपने की मृत्यु या गंभीर दुर्घटना शामिल है। इस समस्या की चपेट में आने वाला व्यक्ति तनाव और डर महसूस करता है।
सिजोफ्रेनिया और सायकोटिक विकार: यह एक गंभीर मानसिक रोग है। इसमें लोग ऐसी चीजों को देखने, सुनने और विश्वास करने लगते हैं, जो वास्तविक में हैं ही नहीं।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी): यह बच्चों में पाए जाने वाले सबसे आम मानसिक विकारों में से एक है। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को अपने व्यवहार को नियंत्रित रखने में परेशानी होती है।
एडिक्टिव डिसऑर्डर: इस मानसिक समस्या के अंतर्गत व्यक्ति को शराब या ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों की लत लग सकती है। इस लत के कारण व्यक्ति की जान को भी जोखिम हो जाता है।
पर्सनालिटी डिसऑर्डर: इस स्थिति में व्यक्ति की पर्सनालिटी यानी बिहेवियर में पूरी तरह बदलाव हो जाता है। इससे व्यक्ति के सोचने-समझने, खाने-पीने और सोने के समय में भी बदलाव होता है, जिसका असर व्यक्ति के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इससे व्यक्ति को तनाव होना भी काफी आम हो जाता है।
परिवार में पहले किसी को मानसिक समस्या होना। तनाव और बचपन में हुए दुर्व्यवहार के कारण। मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन (केमिकल इम्बेलेंस)। मस्तिष्क की चोट (ब्रेन इंजरी)। गर्भावस्था के दौरान वायरस और जहरीले रसायनों के संपर्क में आना। शराब और ड्रग्स का उपयोग। कैंसर जैसी गंभीर समस्या होना। अकेलापन महसूस होना।
व्यायाम: मानसिक स्वास्थ्य के उपाय के तौर पर व्यायाम कर सकते हैं। दरअसल, व्यायाम के दौरान होने वाली शारीरिक गतिविधि से तनाव और अवसाद कम होता है। साथ ही यह मूड में सुधार करने का भी काम कर सकता है। इसलिए, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करना जरूरी है।
ओमेगा -3 फैटी एसिड: ओमेगा -3 फैटी एसिड मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए किए गए अध्ययन में दिया हुआ है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड अवसाद और सिजोफ्रेनिया की समस्या को कम करने का काम कर सकता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना: मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में दोस्तों और परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है। सोशल सपोर्ट और लोगों से मजबूत रिश्ता होने पर इंसान अपने मन की सारी बातें खुलकर एक दूसरे से एक कर सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। साथ ही तनाव, चिंता जैसे मानसिक विकार दूर रहते हैं।
मेडिटेशन: यह मन और शरीर का अभ्यास होता है, जिसे ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। मेडिटेशन के कई तरीके होते हैं, जिसे दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। इनमें माइंडफुलनेस मेडिटेशन और ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन भी शामिल हैं। ये दोनों ध्यान करने की तकनीक हैं, जिनके माध्यम से मन को शांत रखा जा सकता है।
लिखना: कई सारी चीजों को दिमाग में रखने से टेंशन हो सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ते जाता है। ऐसे में लेखन की मदद से चीजों को दिमाग से निकालने से मन को हल्का महसूस हो सकता है। इससे मूड बेहतर करने में भी सहायता मिल सकती है।
रिलेक्सेशन तकनीक: रिलेक्सेशन एक्सरसाइज के माध्यम से पूरे शरीर को आराम दिया जा सकता है। इस तकनीक के मदद से रक्तचाप और मांसपेशियों में तनाव व मानसिक तनाव को कम करने में सहायता मिल सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकता है।
कैनाबिडियोल ऑयल : एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च अनुसार, कैनाबिडियोल आॅयल के इस्तेमाल से चिंता की समस्या कम हो सकती है। साथ ही इस तेल के उपयोग से नींद की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में यह तेल अच्छी भूमिका निभाता है।
हर्बल टी: मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कैमोमाइल को लेकर कई शोध किए गए है। उन परीक्षणों से पता चलता है कि कैमोमाइल टी में एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी एंग्जायटी प्रभाव होते हैं। इन दोनों गतिविधियों के कारण अवसाद और चिंता की समस्या दूर रहती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। (Mansik Swasthya Kya Hai In Hindi)
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