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Builder Buyer Agreement बिल्डर बायर एग्रीमेंट क्या है

Amit Gupta • LAST UPDATED : October 9, 2021, 7:39 am IST
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Builder Buyer Agreement बिल्डर बायर एग्रीमेंट क्या है

Builder Buyer Agreement

Builder Buyer Agreement: अधिवक्ता व भाजपा नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न एक देश में एक जैसा जमीन फरोख्त का अनुबंध बनाया जाए।

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पूरे देश में हो Builder Buyer Agreement का एक ही स्वरूप : सुप्रीम कोर्ट

याचिका दायर करते हुए अश्विनी उपाध्याय ने गत वर्ष पर मांग की थी कि बिल्डर और खरीदार के बीच देश मे एग्रीमेंट का प्रकार एक जैसा होना चाहिए। क्योंकि अक्सर बिल्डर घर बेचते समय खुद के फायदे के लिए लंबा चौड़ा एग्रीमेंट बनवाते हैं। जिसको पढ़ना और समझना खरीदार के लिए चुनौती होती है। अनुबंध करने के बाद खरीदार को नुकसान के साथ-साथ न सिर्फ मानसिक, शारीरिक पेरशानियों से जुझना पड़ता है, बल्कि उसे आर्थिक तौर भी टोटा झेलना पड़ता है। इन सब तकलीफों से बचने के लिए एग्रीमेंट मॉडल एक जैसा बनाने की जरूरत है।

Builder Buyer Agreement घर खरीदारों को लेकर किसी भी प्रकार की समानता नहीं है

जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि अदालत ने कहा है कि खरीदारों की सुरक्षा का मुद्दा अहम है, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। घर खरीदारों को लेकर किसी भी प्रकार की समानता नहीं है, जो कि होनी चाहिए। बिल्डर अपने फायदे के लिए किसी भी क्लॉज में कुछ लिखवा सकता है। जिसके कारण घर खरीदने वालों को पेरशानियों का सामना करना पड़ता है।

Builder Buyer Agreement बिल्डर घर या फ्लैट खरीदने वालों का शोषण नहीं कर पाएगा

कोर्ट ने कहा कि हमने हाल ही में एक ऐसे मामले की सुनवाई की जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने रेरा जैसा कानून बनाया था और कहा था कि इसमें किसी भी तरह की त्रुटि नहीं है। जिसको हमने रद्द किया। कोर्ट के अनुसार इस तरह के अनुबंध बनने के बाद बिल्डर घर या फ्लैट खरीदने वालों का शोषण नहीं कर पाएगा। इससे पूर्व फरवरी माह में इसी प्रकार की एक याचिका पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा था कि 20 राज्यों में करार की शर्तें भिन्न हैं। हमें यह देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार इसको लेकर कोई मॉडल बना सकती है या नहीं? याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि 2016 में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण नामक रेरा कानून लाया गया था, इसको बनाने के मकसद था कि बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लग सके।

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रेरा के तहत राज्यों ने कोई एग्रीमेंट नहीं बनाया Builder Buyer Agreement

लेकिन रेरा के तहत राज्यों ने कोई एग्रीमेंट नहीं बनाया। ऐसे में वही बिल्डरों द्वारा दिए गए करार पर ही रेरा ने मोहर लगा दी। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए अदालत फरमान सुनाए कि समान बिल्डर-बायर और दलाल-खरीदार के बीच अनुबंध बनाया जाए। यह कानून बनने से न सिर्फ धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी वहीं बिल्डर और प्रमोटर्स की मनमानी पर भी लगाम कसी जा सकेगी। जमीनी कारोबार से जुड़े इस धंधे में हर प्रदेश में नियम व शर्तें अलग-अलग हैं।

Builder Buyer Agreement दाव पेंच को समझना आम इंसान के लिए बहुत ही मुश्किल

किसी राज्य में 12 का तो किसी में 20 पन्नों का एग्रीमेंट बनाया जाता है। जिसको अच्छी तरह पढ़ने के बाद भी कानूनी दाव पेंच को समझना आम इंसान के लिए बहुत ही मुश्किल होता है। करार में दी गई शर्तों के बारे में घर लेने वाले को बाद में पता चलता है कि यह है क्या। ऐसे में इतनी जटिल प्रक्रिया के कारण खरीदार को यह समझ नहीं आता कि अब वह क्या करे। और इनके सामने बेबस होकर रह जाता है।

स्थानीय भाषा में Builder Buyer Agreement हो तो समझने में आसानी होगी

उन्होंने मांग की है कि अनुबंध अगर स्थानीय भाषा में हो तो और आम खरीदार को पढ़ने और समझने में आसानी होगी। वहीं इसको केवल 2 पन्नों का भी बनाया जा सकता है। खरीदारों का शोषण करने के लिए बिल्डर एग्रीमेंट में किश्त अदायगी न होने पर घर मालिक से 12 से लेकर 18 प्रतिशत तक ब्याज वसूल करता है। लेकिन एग्रीमेंट में इस बात का कहीं जिक्र नहीं किया जाता कि अगर निवेशक को घर तीन साल की बजाए 5 साल में दिया जाएगा तो क्या खरीदार को भी इतना ही ब्याज बिल्डर देगा। वहीं एग्रीमेंट में बिल्डर इस बात का जिक्र कहीं नहीं करता कि वह घर बनाते समय उसमें किस प्रकार की सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा। मसलन सिमेंट कौन सा होगा, सरिया आदि का उल्लेख कहीं नहीं किया जाता।

Builder Buyer Agreement जुर्माने का प्रावधान नहीं है

फिलहार फ्लैट या घर का पजेशन अगर समय पर नहीं दिया जाता तो उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई या जुर्माने का प्रावधान नहीं है। अगर किसी बिल्डर ने खास तरह की टाइल्स व स्विमिंग पूल आदि का जिक्र किया हुआ है तो पूरा न करने के स्थिति में करार के मुताबिक उस पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता। जो कि एग्रीमेंट में होना बहुत ही जरूरी है।

Builder Buyer Agreement कार्रवाई हो सकती है

समान कानून बनने से दोनों पक्ष कानून के दायरे में आ जाते हैं, किश्त का भुगतान न करने की स्थिति में, कार्रवाई हो सकती है। वहीं अगर बिल्डर समय पर पजेशन नहीं देता है तो वह भी कार्रवाई से बच नहीं सकता। कानून बनने पर बिल्डर खरीदारों को सुनहरे सपने तो दिखाएंगे लेकिन हवाई वादों से बचते नजर आएंगे। ऐसे में बिल्डर वही बात कहेंगे और लिखेंगे जो उसे करके देनी है। याची ने कहा कि नया खाका तैयार करना केंद्र सरकार का काम है। जो कि सभी राज्यों में एक साथ ही लागू होगा। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि यह कम पेज और स्थानीय भाषा में होना चाहिए। इसीलिए मैंने याचिका में केंद्र के साथ ही सभी राज्यों को पार्टी बनाया है।

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