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इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150 साल पूरे, जानें एशिया की सबसे बड़ी उच्च न्यायालय का इतिहास

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : February 3, 2023, 9:55 pm IST
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इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150 साल पूरे, जानें एशिया की सबसे बड़ी उच्च न्यायालय का इतिहास

लाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150 साल पूरे होने पर हाईकोर्ट में कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। इस दरम्यान सीएम योगी ने कहा, ”उत्तर प्रदेश का नागरिक न्याय की आस में प्रयागराज आता है। प्रयागराज धर्म अध्यात्म और शिक्षा की नगरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बार और बेंच का बहुत अच्छा समन्वय देखने को मिलता है।”

(दिल्ली) : इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150 साल पूरे होने पर हाईकोर्ट में कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। इस दरम्यान सीएम योगी ने कहा, ”उत्तर प्रदेश का नागरिक न्याय की आस में प्रयागराज आता है। प्रयागराज धर्म अध्यात्म और शिक्षा की नगरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बार और बेंच का बहुत अच्छा समन्वय देखने को मिलता है।”

बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की स्थापना 3 फरवरी, 1873 को हुई थी। जो एशिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट है। मालूम हो, जब इसकी स्थापना हुई थी, तब इसमें केवल 12 सदस्य थे। वर्तमान में इालाहबाद हाईकोर्ट में 31 हजार 270 सदस्य हैं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पहले अध्यक्ष जॉर्डन बनाए गए थे।

1875 में बार लाइब्रेरी का नाम बार एसोसिएशन

बता दें, बार लाइब्रेरी और लॉयर्स एसोसिएशन दोनों की स्थापना कोर्ट की स्थापना के बाद हुई थी। साल 1875 में बार लाइब्रेरी का नाम बदलकर बार एसोसिएशन कर दिया गया। वहीं दो साल बाद 1877 में वकील संघ यानी लॉयर्स एसोसिएशन अलग हो गया। अयोध्या नाथ को लॉयर्स एसोसिएशन का अध्यक्ष बना दिया गया।

बार एसोसिएशन 1928 तक सेवा में

मालूम हो, उस समय एसोसिएशन में बहुत से लोग ऐसे भी थे जो कांग्रेस के सदस्य भी थे। इन लोगों में पंडित सर सुंदर लाल, जोगेंद्र नाथ चौधरी, पंडित मोती लाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित मदन मोहन मालवीय, सर तेज बहादुर सप्रू, डॉ. कैलाश नाथ काटजू, पुरुषोत्तम दास टंडन, डॉ. सतीश चंद्र बनर्जी और प्यारे लाल बनर्जी शामिल थे। यह एसोसिएशन साल 1928 तक काम करता रहा।

1926 में हुआ था पास बार काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट

बता दें, बार काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट 1926 में पास किया गया था। जिसके बाद 1928 में ‘वकील एसोसिएशन’ का नाम बदलकर ‘एडवोकेट्स एसोसिएशन’ कर दिया गया था। उस समय एक और एसोसिएशन था जिसका नाम था ‘इंडियन बैरिस्टर’। इसमें वही लोग होते थे, जिनका मेंबरशिप एप्लीकेशन बार लाइब्रेरी की ओर से रद्द कर दिया जाता था।

निहाल चंद बैरिस्टर का जब मेंबरशिप एप्लीकेशन बार लाइब्रेरी से रिजेक्ट हो गया था, तब उन्होंने कई लोगों के साथ मिलकर एक नया संगठन बनाया। साल 1933 में चीफ जस्टिस की ओर से इस संगठन को मान्यता दे दी गई। तभी से इस संगठन को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के नाम से जानते हैं। इसमें बैरीस्टर्स और एडवोकेट्स दोनों शामिल थे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का नामकरण

बाद में 19 सितंबर 1957 को सॉलिसिटर जनरल कन्हैया लाल मिश्र ने तीनों संगठन बार लाइब्रेरी, एडवोकेट एसोसिएशन और बार एसोसिएशन को मिलाकर एक संगठन बनाने का सुझाव दिया। जिसके बाद तीनों संगठनों को मिलाकर एक संगठन बनाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का नाम दिया गया। उसके बाद से आज तक यही नाम चलता आ रहा है।

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