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Delhi: क्या देश में स्त्री 'ना' नहीं कर सकती, सुनो मर्दों, 'ना' का मतलब समझो !

India News (इंडिया न्यूज): दिल्ली के मालवीय नगर में एक नरगिस की ‘ना’ ने उसकी जान ले ली। इरफ़ान ‘ना’ नहीं सुन सका और हत्यारा बन गया। दिल्ली के डाबरी में रेनू की ‘ना’ उसकी जान की दुश्मन बन गई। श्रद्धा की ‘ना’ ने उसके 35 टुकड़े करा दिए, निर्भया की ‘ना’ ने उसे जानवरों जैसा […]

BY: Itvnetwork Team • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज): दिल्ली के मालवीय नगर में एक नरगिस की ‘ना’ ने उसकी जान ले ली। इरफ़ान ‘ना’ नहीं सुन सका और हत्यारा बन गया। दिल्ली के डाबरी में रेनू की ‘ना’ उसकी जान की दुश्मन बन गई। श्रद्धा की ‘ना’ ने उसके 35 टुकड़े करा दिए, निर्भया की ‘ना’ ने उसे जानवरों जैसा नुचवा दिया। आपमें मर्दाना कमज़ोरी है, आप ‘ना’ नहीं बर्दाश्त कर सकते।

क्या देश में स्त्री ‘ना’ नहीं कर सकती

600 करोड़ की दुनिया में हर दिन ना जाने कितनी पत्नियां ‘ना’ करके बिस्तर पर बंधक बन जाती हैं। ‘ना’ को अनचाही ‘हां’ में तब्दील करके ख़ामोशी ओढ़ लेती हैं और टकटकी लगाए सामने की दीवार पर टंगी घड़ी को निहारती रह जाती हैं।अजीब शब्द है ‘ना’, पुरुष को ललकारता है, मर्दानगी को पुकारता है। मेरा सवाल है- क्या देश में स्त्री ‘ना’ नहीं कर सकती ? पितृसत्तात्मक समाज में मेरी बातें फेमिनिस्ट लग सकती हैं। पर ये मेरी फ़िक्र है, फ़िक्र का ज़िक्र ज़रूरी है। ज़रूरी है आज इस ‘ना’ को बचाना। आज ये ‘ना’ नहीं बचा तो कल को मेरी बेटी रोएगी।

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क्या देश में स्त्री ‘ना’ नहीं कर सकती

छूना, चिपकना मर्दों की बपौती नहीं

दिसंबर 2022 की बात है, सूरत में एक महिला के ‘ना’ कहने पर एक शख़्स ने उसे HIV खून से भरा इंजेक्शन लगा दिया। उसने एक TV शो से आइडिया लिया और अस्पताल से जाकर HIV मरीज़ का खून लेकर आया। स्त्री देह, उरोज़ और सांसे ‘ना’ कहने के हक़दार हैं। लैंगिक समानता की बात निरर्थक है, जब तक उसकी ‘ना’ स्वीकार्य ना हो। छूना, चिपकना या किस करना मर्दों की बपौती नहीं है।

अगर आप जिसको पसंद करते है, तो उसकी ‘हां’ से पहले उसकी ‘ना’ ज़रूर पूछें

इस तरीक़े के व्यवहार से ख़ुद को स्त्री के लिए बदतर मत बनाएं। अगर सच में आप उसे पसंद करते हैं और आपको लगता है कि वो भी आपको पसंद करती है, तो उसकी ‘हां’ से पहले उसकी ‘ना’ ज़रूर पूछें। मर्दों आपके लिए एक छुअन सिर्फ टच है, स्त्री के लिए वो स्पर्श है, एहसास है, लगाव है, सुरक्षा है। आपकी पसंद की लड़की या महिला ने अगर ‘ना’ कह दिया है और उसके इंकार से आप दुखी हैं, गुस्सा हैं या इस रिजेक्शन को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे, तो ये सामान्य है। आप इच्छाओं और अहंकार को दबा नहीं पा रहे तो ये आपकी कमी है। रिजेक्शन पर स्त्री देह एक ऑब्जेक्ट लगे तो ख़ुद के दिमाग़ का इलाज कराइए।

जब तक स्त्री आपको इंसान समझेगी, वो आपसे ‘ना’ कहेगी

काश कि हमारे समाज में एक पति अपनी पत्नी की ‘ना’ समझता। एक प्रेमी अपनी प्रेमिका की ‘ना’ समझता। एक ‘एक्स’ अपनी ‘एक्स’ की ‘ना’ समझता। ‘ना’ में एक ताक़त है, ‘ना’ में एक इज़्ज़त है, ‘ना’ में एक आदत है। एक लड़की ने सोचा-समझा होगा, तभी आपको ‘ना’ कहा होगा। जब तक स्त्री आपको इंसान समझेगी, वो आपसे ‘ना’ कहेगी। जिस दिन आपने ‘ना’ को अनसुना किया, वो ख़ामोश हो जाएगी। सहन करेगी और रूह तक दर्द को उतार कर तुमसे कहेगी- काश कि तुम मेरी ‘ना’ सुन लेते, समझ लेते। तुम स्त्री के ‘ना’ का भोग करोगे तो नामर्द कहलाओगे। ‘ना’ को अस्वीकार करोगे तो स्त्री के लिए तुम हाड़-मांस का सिर्फ एक टुकड़ा हो। स्त्री के दिल को छूना है ना, तो उसकी ‘ना’ को स्वीकार करना।

(लेखक-राशिद हाशमी, इंडिया न्यूज़ चैनल के कार्यकारी संपादक)

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