Indianews (इंडिया न्यूज़), LokSabha2024: (अजीत मेंदोला)- लोकसभा चुनाव ने कांग्रेस का राज्यसभा का गणित भी गड़बड़ा दिया है। अभी राज्यसभा के दो सदस्य दिग्गविजय सिंह और के सी वेणुगोपाल चुनाव मैदान में हैं। इनमें वेणुगोपाल की जीत लगभग तय मानी जा रही है जबकि दिग्विजय सिंह टक्कर में बताए जा रहे हैं। इनके साथ अब दीपेंद्र हुड्डा भी लोकसभा में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। पार्टी का संकट यह है अगर यह तीनों नेता लोकसभा का चुनाव जीतते हैं तो इसका सीधा असर राज्यसभा पर पड़ेगा। राज्यसभा में अभी कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 29 है। इनमें झारखंड के धीरज साहू का कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है। इस तरह यह संख्या 28 हो जायेगी।
राज्यसभा में कांग्रेस को प्रतिपक्ष के नेता पद के लिए कम से कम 25 सदस्य चाहिए। अब कांग्रेस के तीन सदस्य वेणुगोपाल, दीपेंद्र हुड्डा को अगर पार्टी ने टिकट दिया और दिग्विजय सिंह लोकसभा का चुनाव जीतते हैं तो फिर राज्यसभा में यह संख्या अपने आप ही घटकर 25 हो जायेगी। मतलब इसके बाद एक सीट भी कम होती है तो फिर कांग्रेस से राज्यसभा में भी प्रतिपक्ष का नेता पद छिन जाएगा। जैसे लोकसभा में कांग्रेस की स्थिति है वही राज्य सभा में हो जायेगी।
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कांग्रेस 2014 से लोकसभा में 55 सीट का वह आंकड़ा नहीं छू पा रही जिससे उसे विपक्ष का नेता पद मिल जाए। अभी जो आम चुनाव होने जा रहे हैं उनमें कांग्रेस की स्थिति में सुधार की उम्मीद दिख नहीं रही है। पार्टी को केवल चमत्कार का सहारा है। जितने भी ओपिनियन पोल आ रहे हैं उनमें बीजेपी फिर से भारी बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है। इन हालातों में कांग्रेस की 4 जून के बाद परेशानियां बढ़नी ही बढ़नी हैं। कांग्रेस के लिए पहली चुनौती बचे हुए तीन राज्यों की सरकार बचाने की होगी। क्योंकि इन राज्यों से ही 2026 में राज्यसभा की गिनती की सीट आ सकती है। लेकिन जो हालात हैं उनमें हो सकता है कि राज्य सभा के बचे हुए सदस्यों में सेंध भी लग जाए। कांग्रेस के अंदरूनी हालत यूं भी बहुत अच्छे नहीं हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर ही पार्टी कई सीटों पर दुविधा में है। इनमें रायबरेली और अमेठी जैसी सीट भी हैं जिनका फैसला गांधी परिवार को करना है। इसके साथ टिकट बंटवारे को लेकर भी आलाकमान को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। दिल्ली जैसे राज्य में कांग्रेस को तीन सीट के लिए खासी मेहनत करनी पड़ी उसके बाद भी पार्टी में नाराजगी है।
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इसी तरह पड़ोसी राज्य हरियाणा में आपसी झगड़े के चलते आलाकमान के पसीने छूट रहे हैं। जबकि अधिकांश ओपिनियन पोल में हरियाणा की दो सीटों पर ही कांग्रेस मुकाबले में बताई जा रही है। इनमें एक है रोहतक और दूसरी है तो दूसरी हिसार बताई जा रही है। इस सीट पर कांग्रेस के जिन प्रत्याशियों के नाम सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि आखिर में बीजेपी सीट निकाल लेगी। सिरसा में कुमारी शैलजा लड़ी तो मुकाबला दिलचस्प हो जायेगा। लेकिन कांग्रेस आलाकमान के सामने झगड़ों के चलते संकट बना हुआ है। संकट यही है कि किस गुट की सुने और किसकी नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा जिसका नाम सुझाते हैं उसके लिए आरएसके गुट मतलब रणदीप सिंह सुरजेवाला,कुमारी शैलजा और किरण चौधरी गुट मना कर देता है। इस चक्कर में तमाम बैठकें हो चुकी हैं। एक संकट यह है कि रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा को टिकट दिया जाए या नहीं।
दीपेंद्र इसलिए टिकट की कोशिश में हैं क्योंकि उनका राज्यसभा का कार्यकाल दो साल बाद समाप्त हो जायेगा। अभी रोहतक में स्थिति उनके अनुकूल बनी हुई है। उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं। यदि इस बार चुनाव नहीं लड़े तो फिर लोकसभा चुनाव बाद परिस्थितियां बदल सकती हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार वापस आयेगी। दो साल बाद राज्य सभा का टिकट मिलेगा भी या नहीं कोई पक्का नहीं है। इसके चलते इस बार वह रोहतक से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में हैं। जीत गए तो पांच साल का कार्यकाल मिल जायेगा।लोकसभा में राहुल की टीम में और मजबूती होगी। आलाकमान का संकट यही है कि करें तो क्या करें। लोकसभा में तो जो हालात हैं सो हैं राज्यसभा भी उधर ही बढ़ती दिख रही है।
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