Hindi News / Dharam / The Secret Of Pandavas Complete Strength Was Hidden In This Dal Made By Draupadi

द्रौपदी की इस एक सब्जी में छिपा था पांडवों की सम्पूर्ण ताकत का राज…खाते ही किसी बलवान हाथी के समान आ जाती थी ताकत!

Draupadi In Mahabharat: पंचमेल दाल का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी था। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी को अग्निदेव और सूर्यदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Draupadi In Mahabharat: महाभारत में वनवास के दौरान पांडवों और द्रौपदी का जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उस समय भी द्रौपदी ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और देखभाल से पांडवों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा। द्रौपदी न केवल एक पत्नी और साथी के रूप में महत्वपूर्ण थीं, बल्कि वह अपने परिवार के लिए भोजन का भी विशेष ध्यान रखती थीं, जिससे पांडवों को युद्ध की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए आवश्यक पोषण मिलता रहे।

द्रौपदी का अनोखा व्यंजन

द्रौपदी द्वारा बनाई गई पंचमेल दाल का उल्लेख महाभारत में विशेष रूप से मिलता है। यह पांच प्रकार की दालों से बनाई जाती थी और इसमें भरपूर पोषण होता था, जो पांडवों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। द्रौपदी के लिए यह एक साधारण भोजन नहीं था, बल्कि एक ऐसी जिम्मेदारी थी, जो पांडवों की शारीरिक और मानसिक शक्ति को बनाए रखने में मदद करती थी।

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Draupadi In Mahabharat: पंचमेल दाल का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी था। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी को अग्निदेव और सूर्यदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था।

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पंचमेल दाल

पंचमेल दाल का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी था। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी को अग्निदेव और सूर्यदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था। इन देवताओं ने द्रौपदी को वरदान दिया था कि उनका बनाया भोजन कभी खत्म नहीं होगा और पांडवों को हमेशा संपूर्ण पोषण प्राप्त होगा। इस वरदान ने वनवास के दौरान कठिन परिस्थितियों में भी पांडवों को भूख से बचाए रखा और उन्हें नैतिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखा।

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द्रौपदी के द्वारा बनाए गए भोजन

वनवास में भी, जहां भोजन के स्रोत सीमित थे, द्रौपदी के द्वारा बनाए गए भोजन ने पांडवों के स्वास्थ्य को संतुलित रखा और उनकी शारीरिक क्षमता में कोई कमी नहीं आई। पंचमेल दाल, जो पांच दालों को मिलाकर बनाई जाती थी, आज भी एक पोषण से भरपूर भोजन के रूप में प्रसिद्ध है। यह न केवल प्राचीन भारतीय भोजन संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि इसे आज भी अनेक रूपों में घरों में पकाया और खाया जाता है।

इस प्रकार, पंचमेल दाल का उल्लेख महाभारत में न केवल एक पोषक भोजन के रूप में किया गया है, बल्कि इसे उस समय की स्त्रियों की कर्तव्यपरायणता और घर के पोषण की जिम्मेदारी की ओर भी इंगित करता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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