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India News (इंडिया न्यूज), South Korea Crisis: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार (3 दिसंबर, 2024) रात 11 बजे देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देश में आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की। उन्होंने इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रपति योल ने कहा कि विपक्ष राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल है और उत्तर कोरिया के एजेंडे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरियाई कम्युनिस्ट ताकतों के खतरों से बचाने और राष्ट्र विरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं। उन्होंने देश की स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए इसे जरूरी बताया।
इसके बाद मार्शल लॉ को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने आर्मी जनरल पार्क उन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया था। इसकी घोषणा के बाद से सभी राजनीतिक गतिविधियों, रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक लग गई थी। जैसे ही मार्शल लॉ की घोषणा की गई, वैसे ही विपक्ष समेत देशभर के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। विपक्ष ही नहीं, बल्कि राष्ट्रपति की पीपुल्स पावर पार्टी के सांसदों ने भी इस फैसले का विरोध किया। पार्टी के प्रमुख नेता हान डोंग हून ने कड़ी आपत्ति जताई। विपक्षी नेता ने लोगों से संसद के बाहर इकट्ठा होने को कहा। कुछ ही देर में हजारों लोग संसद के बाहर जमा हो गए। इस दौरान मार्शल लॉ खत्म करो और तानाशाही को उखाड़ फेंको के नारे गूंजने लगे।
पुलिस ने इस हिंसक स्थिति को देखते हुए संसद परिसर को घेर लिया। लेकिन विपक्षी नेता और लोग नहीं माने। कई विपक्षी नेता बैरिकेड्स को पार कर खिड़कियों से संसद परिसर में घुस गए। विपक्षी सांसदों ने भी संसद को घेर लिया और नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर सेना के वाहनों को रोकना शुरू कर दिया और सेना द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को हटाना शुरू कर दिया। कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
देश की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति योल की घोषणा के तुरंत बाद अपने सांसदों को जुटाना शुरू कर दिया। इस दौरान पार्टी की आपात बैठक भी हुई। इस बैठक में राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदमों और सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंधों पर चर्चा की गई। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि मार्शल लॉ की घोषणा असंवैधानिक है देश में आपातकालीन मार्शल लॉ लागू होने के बाद सांसद इस पर वोट करने के लिए नेशनल असेंबली में एकत्र हुए। इस दौरान असेंबली में वोटिंग हुई, जिसमें 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ के खिलाफ वोट दिया।
दरअसल, देश की संसद में विपक्ष को बहुमत प्राप्त है, जिसके कारण राष्ट्रपति हमेशा से यह दावा करते रहे हैं कि, विपक्ष सरकार को कमजोर कर रहा है। नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ के खिलाफ वोटिंग के बाद राष्ट्रपति योल ने तत्काल प्रभाव से इस फैसले को वापस ले लिया। संविधान के तहत राष्ट्रपति को संसद के फैसले का पालन करना होता है। उन्होंने कहा कि वह सेना को सड़कों से हटने का आदेश दे रहे हैं। यह कदम राष्ट्रपति यून के राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा हो सकता है क्योंकि देश में उनकी लोकप्रियता पहले से ही काफी कम है और इस फैसले के बाद उन्हें देशभर में लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
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