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यह राज्य बना किसानों का कब्रिस्तान! हर साल इतने 'अन्नदाता' कर लेते हैं आत्महत्या, आंकड़े देख फट जाएगी छाती

Farmers Suicide: भारत के लगभग हर राज्य में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन एक राज्य ऐसा भी है जहां किसानों की आत्महत्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

BY: Deepak • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Farmers Suicide: किसानों को देश का अन्नदाता कहा जाता है। अगर देश में किसान न हों तो लोग भूखे मर जाएंगे, लेकिन देश के अन्नदाता जो इतनी मेहनत करते हैं, उन्हें उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिलता। यही वजह है कि कभी उन्हें बैंकों से तो कभी किसी और से कर्ज लेना पड़ता है। जब किसान कर्जदाताओं का कर्ज नहीं चुका पाते और परेशान हो जाते हैं तो उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है, जो बेहद दुखद है। भारत के लगभग हर राज्य में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन एक राज्य ऐसा भी है जहां किसानों की आत्महत्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान कर रहे आत्महत्या

साल 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले उस राज्य में किसानों की आत्महत्या के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सरकार ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी दी कि महाराष्ट्र में पांच महीने के अंदर करीब 1046 किसानों ने आत्महत्या की है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाटगे ने बताया था कि सरकार से किसानों की आत्महत्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी। राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी 2024 से 31 मई 2024 के बीच कुल किसान आत्महत्याओं की संख्या 1046 है।

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Farmers Suicide

आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र का यह राज्य सबसे आगे 

इसके अनुसार, हर महीने औसतन 209 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महाराष्ट्र के अमरावती में स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है। गंभीर कृषि संकट के कारण अमरावती में करीब 143 किसानों ने आत्महत्या की। इस मामले में अमरावती जिले ने यवतमाल को पीछे छोड़ दिया। तब तक यवतमाल में 132 किसान आत्महत्या कर चुके थे। 2021 से ही अमरावती ने इस मामले में यवतमाल को पीछे छोड़ दिया है। 2021 में यहां 370 किसानों ने आत्महत्या की, 2022 में 349 और 2023 में यह आंकड़ा 323 हो गया। 2021 में यवतमाल में मरने वाले किसानों की संख्या क्रमशः 290, 291 और 2022 में 302 और 23 थी।

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किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

2022 में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में 600 से ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से ज़्यादातर की मौत बारिश की वजह से हज़ारों हेक्टेयर कृषि भूमि को हुए नुकसान की वजह से हुई है। इस क्षेत्र में रहने वाली लगभग 65% आबादी अपनी आजीविका और व्यावसायिक ज़रूरतों के लिए पूरी तरह से कृषि और इसी तरह की गतिविधियों पर निर्भर है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसल उत्पादन पर पड़ने वाले भारी असर के कारण कई लोग चिंतित हो रहे हैं।

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