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Vastu: अगर पूजा घर में हुई यह गड़बड़ी, तो नहीं मिलेगा कोई फल, लग जाएगा देव अपराध!

Vastu For Temple Home: पूजा गृह का अर्थ है देवताओं की उपासना करने का स्थान. आजकल घरों में पूजा स्थान की जगह लोग मंदिर बनवा कर वहां देवताओं की स्थापना करवाने लग गए हैं. दरअसल वैदिक रीति से देव स्थापित मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का कार्य है. प्राणप्रतिष्ठा के बाद देवता के प्रति बहुत अधिक जिम्मेदारी बढ़ जाती है. जब ऐसा नहीं हो पाता तो देव अपराध लगता है, देवता कुपित होते हैं, जिसका परिणाम अच्छा नहीं होता. घर के पूजा स्थान को मंदिर का आकृति रूप देना तो ठीक है किंतु घर में बड़ी देव मूर्तियों की स्थापना नहीं करवानी चाहिए. यदि करवा चुके हैं तो यह आप पर भारी जिम्मेदारी है, जिसका बोध आपको सदैव होना चाहिए. आइए इस लेख में पूजा गृह से जुड़ी कुछ जरुरी बातों को जानते हैं-

भूलकर भी न लाएं मंदिर की मूर्ति

आजकल लोग जब तीर्थयात्रा पर जाते हैं तो उस तीर्थस्थल की प्रतिमा घर ले आते हैं, और उनकी पूजा करना शुरु कर देते है जोकि पूरी तरह से गलत है. शास्त्र अनुसार किसी प्राचीन मंदिर की मूर्ति लाकर अपने पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए, इसके अलावा घर में दो शिवलिंग, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमाएं, दो शालिग्राम, तीन दुर्गा प्रतिमाएं नहीं रखनी चाहिए.

बहुत बड़ी मूर्ति दे सकती है नुकसान

एक और बात यहां महत्वपूर्ण है कि घर में एक बालिश्त से कम ऊंचाई की ठोस पाषाण मूर्तियां ही रखना उचित है. इससे बड़ी प्रतिमाएं घर में रखने की शास्त्र अनुमति नहीं देता. कुछ ग्रंथो ने तो आठ अंगुल से बड़ी मूर्तियों को घर में न रखने का निर्देश दिया है. माना जाता है कि यदि मूर्तियां मिट्टी की हैं या अन्दर से खोखली हैं तो इनमें दोष नहीं है.

देवी-देवताओं को न बनाए घर का पहरेदार

कुछ लोग लक्ष्मी, गणेश, कुबेर आदि देवताओं की प्रतिमाओं को प्रवेश द्वार पर लगाना शुभ मानते है यहां एक विचारणीय बात है कि देवता तो सर्वदा पूज्य होते हैं, वे कोई पहरेदार नहीं है. यदि लगा चुके हैं और हटा भी नहीं सकते हैं तो प्रतिदिन आप द्वार पर जाकर उनकी पूजा अर्चना करें. नियमित भोग लगाएं. जो भोग आरती पूजा घर के भगवान की होगी उसी प्रकार द्वार के देवता की भी होगी.

हवन के लिए करें, इस स्थान का प्रयोग

यदि आप प्रतिदिन हवन करते हों तो हवन पूजाघर के आग्नेय कोण में ही करें. यदि आप चाहे तो पूजाघर के इस कोण में एक कुंड भी बनवा सकते हैं. यदि अखंड दीप जलाना हो तो वह भी इसी कोण में ही जलाना चाहिए.
Pandit Shashishekhar Tripathi

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