8th Pay Commission Update: केंद्र सरकार एक ऐसा फैसला लेने की तैयारी में है, जिसका असर न केवल लाखों सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले चुनावों के राजनीतिक समीकरणों पर भी देखने को मिलेगा. अगले हफ्ते केंद्र सरकार 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की घोषणा कर सकती है. यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election) से ठीक पहले लिया जाना माना जा रहा है, जिससे यह राजनीतिक रूप से भी अहम हो जाता है.
कब हुआ था 8वें वेतन आयोग का एलान?
जनवरी 2025 में केंद्र कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी. तब से लेकर अब तक इस आयोग की रूपरेखा, कार्यक्षेत्र (ToR) और सदस्यों के चयन पर काम चल रहा था. अब, लगभग 10 महीने बाद, सरकार इसके औपचारिक गठन की घोषणा करने जा रही है. यह आयोग केंद्र सरकार के करीब 1.18 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनधारकों के वेतन, भत्ते और पेंशन स्ट्रक्चर की समीक्षा करेगा और संशोधित सिफारिशें पेश करेगा.
क्या होगा आयोग का काम
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) तय कर लिए हैं. आयोग का प्रमुख उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी, भत्तों और पेंशन ढांचे की समीक्षा, आने वाले वर्षों के लिए नया वेतन ढांचा तैयार करना और कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार से जुड़ी सिफारिशें देना होगा. यह आयोग अपनी रिपोर्ट 6 से 12 महीने के भीतर सरकार को सौंपेगा. सरकार की योजना है कि इस नए वेतन ढांचे का प्रभाव 1 जनवरी 2026 से रेट्रोस्पेक्टिव (पिछली तारीख से) लागू किया जाए.
देरी क्यों हुई?
अगर पिछली समयसीमा से तुलना करें तो यह फैसला लगभग एक साल की देरी से आ रहा है. 7वें वेतन आयोग के गठन और रिपोर्ट के बीच का अंतराल कम था, जबकि इस बार चुनावी व्यस्तताओं और राज्यों से इनपुट लेने में समय लगा. केंद्र ने राज्य सरकारों, PSUs (सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों) और विश्वविद्यालयों से भी सुझाव मांगे, क्योंकि आमतौर पर वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद राज्य सरकारें भी समान ढांचा अपनाती हैं.
हर वेतन आयोग के बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी होती है. इससे एक तरफ सरकारी खर्च बढ़ता है, लेकिन दूसरी ओर बाजार में मांग और खपत भी तेज होती है. 7वें वेतन आयोग के बाद बाजार में उपभोक्ता खर्च में करीब 15% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें आयोग की सिफारिशें आने से इकॉनमी में कंज्यूमर सेंटिमेंट सुधरेगा, हालांकि फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) पर दबाव बढ़ सकता है.
7वें वेतन आयोग से क्या मिला था?
7वां वेतन आयोग 28 फरवरी 2014 को गठित हुआ था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं. उस समय औसतन 23.55% वेतन वृद्धि की गई थी, जिससे केंद्र पर हर साल लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा था. हालांकि, इस बढ़ोतरी से कर्मचारियों की आय में सुधार हुआ और आर्थिक गतिविधियों में नई गति आई.
8वें आयोग का व्यापक प्रभाव
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार 16वें वित्त आयोग की योजना और नए फिस्कल कंसॉलिडेशन रोडमैप में शामिल करेगी. इसका मतलब है कि केंद्र सरकार पहले से ही इन सिफारिशों के राजकोषीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अपनी आर्थिक रणनीति बना रही है.
राज्य कर्मचारियों को भी फायदा
केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी आमतौर पर केंद्र के अनुरूप वेतन संशोधन लागू करती हैं. इससे देशभर में करोड़ों सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों और पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा. कई राज्यों ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वे केंद्र की सिफारिशें आने के बाद अपने ढांचे को भी संशोधित करेंगे.