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NPS में बड़ा बदलाव,  Annuity 40% से घटकर 20%, निकाल सकेंगे 80% रकम

NPS New Rules: अब नॉन-गवर्नमेंट (private) NPS सब्सक्राइबर्स को अपने रिटायरमेंट कॉर्पस का अधिकतम 80% हिस्सा (एक-साथ) निकालने की अनुमति दी गई है. इससे पहले आपको ज़्यादातर पैसा एन्युटी (पेंशन आय योजना) खरीदने में लगाना पड़ता था, अब यह अनिवार्य हिस्सा कम कर दिया गया है.

पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के नियमों में बड़े बदलाव करते हुए नोटिफाई किए गए PFRDA अमेंडमेंट रेगुलेशंस 2025 ने एनपीएस को प्राइवेट सेक्टर और आम लोगों के लिए बहुत आसान बना दिया है. एकमुश्‍त निकासी की राशि को बढा दिया गया है और एनपीएस में निवेश बनाए रखने की सीमा में भी वृद्धि कर दी गई है.

अब मिलेगा ज्यादा पैसा

NPS  से बाहर निकलते समय, जो सबसे बड़ा बदलाव किया गया है वो पैसे निकासी के रेशियो में किया गया है. जिसे तकनीक भाषा में एग्जिट रेशियो के नाम से जानते हैं. पहले जब कोई NPS सब्सक्राबर रिटायर होता था तो उसे अपने जमा फंड जिसे Corpus कहते हैं, उसका कम से कम 40% हिस्सा एन्युटी खरीदने में लगाना पड़ता था. एन्युटी उस पैसे को बोलते हैं जिससे हर महीने पेंशन मिलती है और सब्सक्राइबर केवल 60% पैसा ही एकमुश्त निकाल सकता था. 

क्या है नया बदलाव

लेकिन अब, नियमों में बदलाव होने के बाद यदि सब्सक्राइबर का टोटल कॉर्पस 12 लाख से ज्यादा होता है. तो अब 80:20 का नियम लागू होगा. इसका मतलब यह है कि रिटायरमेंट के समय आपके पास अब अपनी रकम में से बड़ी राशि सीधे निकालने का विकल्प है, इतना पहले संभव नहीं था. यानी अपने टोटल फंड का 80% हिस्सा आप एकमुश्त निकाल सकते हैं और केवल 20% राशि से एन्युटी यानी पेंशन प्लान खरीदना होगा.

नए नियम की खास बातें

  • अब 80% तक corpus लंप-सम निकाल सकते हैं
  • केवल 20% हिस्सा अब एन्युटी खरीदने के लिए लगाया जाना है.
  • यह बदलाव मुख्य रूप से private/नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स पर लागू होता है.

कुछ मामलों में पूर्ण निकासी (100%)

  • यदि आपका कुल NPS corpus एक निर्धारित सीमा (जैसे ₹8 लाख या उससे कम) तक है, तो 100% निकालने की अनुमति भी मिल सकती है.
  • छोटे corpus वाले लोगों को बेहतर लचीलापन मिला है.

अब बाहर निकलने (exit) पर नियम थोड़े आसान और जीविका-अनुकूल हो गए हैं। 

क्यों ये बड़ा बदलाव है?

पहले NPS में अधिकांश धन को एन्युटी (पेंशन) के रूप में निवेश करना ज़रूरी था. जिससे आपको नियमित मासिक पेंशन मिलती थी, लेकिन लिक्विडिटी (तुरंत पैसा निकालने की क्षमता) कम थी. नए नियम में ज्यादा हिस्सा खुद के अनुसार उपयोग करने का विकल्प मिला है, जिससे रिटायरमेंट-प्लानिंग में लचीलापन बढ़ा है.

Vipul Tiwary

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