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चारदीवारों कैद में देखा आसमान में उड़ने का सपना, ऐसी है साक्षी की संघर्ष की कहानी

India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh News: व्यापार नगरी गीदम कई मामलों में संभाग में अव्वल है, लेकिन इस नगर की एक अलग पहचान यह भी बन रही है कि अब यह बिटिया नगरी भी बन रही हैं। यहां बिटिया कमाल करती हैं। यहां से साक्षी सुराना अब पायलेट बन गई है और उड़ान भरने को […]

BY: Nikita Chauhan • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh News: व्यापार नगरी गीदम कई मामलों में संभाग में अव्वल है, लेकिन इस नगर की एक अलग पहचान यह भी बन रही है कि अब यह बिटिया नगरी भी बन रही हैं। यहां बिटिया कमाल करती हैं। यहां से साक्षी सुराना अब पायलेट बन गई है और उड़ान भरने को तैयार है। इसके पहले गीदम ने छत्तीसगढ़ को आईएएस और आईएफएस बिटिया दिया है। तो चलिए जानते हैं साक्षी की संघर्ष की कहानी…

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चारदीवारों कैद में खोजा रास्ता

कॉमर्स ग्रेजुएट होने के साथ साक्षी ने BBA कोर्स किया है। कोर्स करने के बाद तुरंत ही कोविड ने पूरे देश-दुनिया को चारदीवारों में कैद कर दिया। बस इसी कैद ने रास्ता दिखाया। साक्षी बताती है कि कमरे में बंद के दौरान परिवार के सदस्यों से चर्चा में उन्होंने पायलेट बनने की इच्छा घरवालों को बताई, फिर क्या था। सहमति के साथ माता-पिता और दादा-दादी को प्रेरणा मानते हुए मोबाइल से ही अपने उड़ान को साकार करने का रास्ता खोजा निकाल।

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जुनून ही सफलता की गारंटी

साक्षी ने आगे बताया कि यह रास्ता लॉकडाउन खत्म होने के साथ हैदराबाद के विंग्स एविएशन बेगमपेट प्रशिक्षण सेंटर तक पहुंचा दिया। इसके बाद दो साल का कड़ा प्रशिक्षण पूरा करते 200 घंटे के लक्ष्य उड़ान का प्रमाणपत्र के साथ साक्षी अब गीदम पहुंच चुकी है। साक्षी अपने अनुभव और प्रशिक्षण के विषय में बताती है कि कुछ अलग करने का जुनून ही सफलता की गारंटी होती है। साक्षी के पिता जवाहर सुराना बेटी की सफलता से काफी खुश हैं और माता खुशी के साथ कहती हैं कि कोरोनाकाल का यह संकल्प बिटिया ने पूरा किया। आज बिटिया की सफलता ने एक और उदाहरण दिया है और इस मिथक को भी तोड़ा है कि सिर्फ महानगरो में ही प्रतिभा होती है अगर जुनून और जज्बा हो तो सफलता कदम चूमती है चाहे छोटा सा नगर गीदम ही क्यों न हो।

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