India News (इंडिया न्यूज), Hiran Baiga Encounter: मध्य प्रदेश के मंडला जिले में 9 मार्च को हुए नक्सली एनकाउंटर को लेकर विपक्ष और स्थानीय लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं। पुलिस ने इस एनकाउंटर में हीरन बैगा नामक व्यक्ति को मार गिराया था और उसे नक्सली करार दिया था। लेकिन मृतक के परिवार और विपक्षी नेताओं ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताया और पुलिस पर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करने का आरोप लगाया है।
बालाघाट के पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने इस मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह एनकाउंटर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और सरकारी लाभ* पाने के लिए किया गया है। उनका दावा है कि हीरन बैगा एक निर्दोष आदिवासी था, जो अपने पांच बच्चों, पत्नी और वृद्ध माता-पिता का पालन-पोषण कर रहा था। वह जंगल में झाड़ू बनाने के लिए छींद इकट्ठा करने गया था, लेकिन पुलिस ने उसे नक्सली बताकर मार डाला।
Hiran Baiga Encounter
पूर्व सांसद ने सरकार से सवाल किया कि यदि हीरन बैगा सच में नक्सली था, तो उसके गांव से महज दो किलोमीटर दूर स्थित खटिया पुलिस थाने को इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं थी? उन्होंने कहा कि पुलिस और सरकार वाहवाही लूटने के लिए निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मार रही है।
स्थानीय ग्रामीण भी इस घटना पर पुलिस के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि हीरन बैगा कोई नक्सली नहीं था, बल्कि बैगा आदिवासी समुदाय का एक साधारण व्यक्ति था। उसके पास मात्र आधा एकड़ जमीन थी, जिससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने कुछ फोटोग्राफ दिखाते हुए कहा कि एनकाउंटर के बाद पुलिस ने तुरंत शव को काली पॉलीथिन से ढंक दिया था। जब कुछ तस्वीरें सामने आईं, तो देखा गया कि हीरन बैगा के पूरे शरीर पर कुल्हाड़ी से काटे जाने के निशान थे। उन्होंने कहा कि यह घटना स्पष्ट रूप से फर्जी एनकाउंटर* की ओर इशारा करती है।
सरकार ने 2026 तक नक्सलियों को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव हकीकत से दूर हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस फर्जी एनकाउंटर कर रही है, जिससे नक्सल समस्या हल होने के बजाय और बढ़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निर्दोष आदिवासियों की हत्या होती रही, तो युवा हथियार उठाने को मजबूर होंगे।
पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि 2018 के बाद से मध्य प्रदेश में 25 फर्जी एनकाउंटर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे इन मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने मांग की कि मंडला के एसपी, बालाघाट के आईजी और हॉक फोर्स के कमांडेंट सहित इस एनकाउंटर में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने इससे पहले 4 महिला नक्सलियों के एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने दावा किया कि उन महिलाओं को पहले पकड़ा गया था और फिर बहुत नजदीक से गोली मारकर एनकाउंटर दिखाया गया।
पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार एक तरफ आदिवासियों के संरक्षण की बात करती है और दूसरी तरफ निर्दोष आदिवासियों को मार रही है। उन्होंने इस फर्जी एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग की और दोषियों को कड़ी सजा देने की अपील की। यह मामला सिर्फ एक एनकाउंटर तक सीमित नहीं है, बल्कि आदिवासी अधिकारों और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच होती है या नहीं।
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