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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
RT-PCR Test: कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन दुनियाभर के विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बना है। अध्ययनों के मुताबिक ये कोरोना के बाकी वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक है। इसकी पहचान जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट से की जा रही है, लेकिन भारत जीनोम सीक्वेंसिंग के मामले में काफी पीछे है। आइए आपको बताते हैं कि आरटी-पीसीआर टेस्ट से भी (Omicron) ओमिक्रॉन का पता कैसे लगाया जा सकता है। बता दें जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए जहां 5000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने में 260 रुपए ही खर्च करने पड़ेंगे। (RT PCR Test Of Rs 260 Instead Of 5000)
जीनोम सीक्वेंसिंग किसी भी इंसान का पूरा जेनेटिक बायोडेटा होता है। अगर किसी इंसान की जेनेटिक डाइवर्सिटी को समझना हो, तो जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट करवाना पड़ेगा। इसके बाद किसी भी नई बीमारी या नए वेरिएंट का पता इस टेस्ट से पता चल जाएगा।
(Genome Sequencing) आपको बता दें कि किसी भी वेरिएंट का पता जीनोम सीक्वेंसिंग में आसानी से लग जाता है, लेकिन देश के काफी कम राज्यों में ये टेस्ट हो रहे हैं। इसलिए हर इंसान का जीनोम सीक्वेंसिंग कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वो दो बार आरटी-पीसीआर टेस्ट करें और देखें कि सैंपल से एस-जीन (यानि वंशाणु या पित्रैक) गायब है या नहीं, क्योंकि ओमिक्रॉन से एस-जीन गायब है, जबकि डेल्टा में एस-जीन मौजूद है।
जी हां, वायरस में मौजूद एस-जीन के जरिए ही ओमिक्रॉन की पहचान की जा रही है। कई वैज्ञानिकों का दावा है कि ओमिक्रॉन में एस-जीन नहीं है। अगर किसी इंसान के सैंपल में एस-जीन गायब है, तो वो ओमिक्रॉन संक्रमित है। अगर एस-जीन मौजूद है और रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव है तो, इंसान कोरोना के ओमिक्रॉन से अलग किसी दूसरे वेरिएंट से संक्रमित है।
विदेश यात्रा करने वाले लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। अगर वो पॉजिटिव पाये जाते हैं तो उनका सैंपल लैब में भेजा जाता है। लैब में ऐसे सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट किया जाता है। रिपोर्ट आने पर पता लगता है कि ओमिक्रॉन है या नहीं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ओमिक्रॉन से एस-जीन के गायब होने की वजह इसमें मौजूद मल्टिपल म्यूटेशन है, जो अब तक किसी वेरिएंट में नहीं देखा गया है। एस-जीन का गायब होना ही ओमिक्रॉन की मौजूदगी का संकेत है।
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