India News (इंडिया न्यूज),Delhi AIIMS News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने आंखों में सफेदी (कार्नियल ओपेसिटी) का पता लगाने के लिए एक एआई (AI)आधारित मोबाइल एप विकसित किया है। यह एप मरीजों को अपनी आंख की फोटो अपलोड करने की सुविधा देता है, जिसके बाद एप कुछ ही पलों में यह बता सकता है कि उन्हें कार्निया प्रत्यारोपण की जरूरत है या नहीं।
एप के जरिए जांच आसानी
जानकारी के अनुसार, इस एप का अध्ययन करने के बाद यह पाया गया कि यह 94.59 प्रतिशत मामलों में सटीकता से काम करता है। पहले जहां मरीजों को इस रोग की पहचान के लिए लंबी और जटिल रेडियोलॉजी जांच से गुजरना पड़ता था, वहीं अब इस एप के जरिए जांच आसानी से संभव हो गई है। यह तकनीक खासकर उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो बड़े सेंटरों तक नहीं पहुंच सकते।
राष्ट्रीय नेत्र बैंक की बड़ी उपलब्धि
एम्स के आरपी सेंटर की प्रोफेसर डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इस एप में एआई आधारित एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जो 2000 मरीजों की आंखों की तस्वीरों पर आधारित है। अध्ययन के दौरान एप ने 94.59 प्रतिशत सटीकता से कार्निया प्रत्यारोपण के योग्य मरीजों की पहचान की। इसके अलावा, एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक ने पिछले एक वर्ष में 1703 मरीजों की आंखों में रोशनी वापस लाने में सफलता प्राप्त की है। इस दौरान 2000 से अधिक कार्निया एकत्र किए गए, जिसमें से 85 प्रतिशत का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया। डॉ. तुषार अग्रवाल के अनुसार, एक कार्निया से तीन लोगों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है, जिससे छह लोगों की आंखों में रोशनी वापस लाई जा सकती है।
बच्चों को मिल रही प्राथमिकता
कार्निया प्रत्यारोपण के लिए 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्राथमिकता दी जा रही है। एम्स के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के 40 प्रतिशत प्रत्यारोपण अल्सर से पीड़ित मरीजों पर किए गए, जबकि 29.35 प्रतिशत प्रत्यारोपण आंख की चोट के कारण आवश्यक थे। एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक ने पिछले 58 वर्षों में 32,000 से अधिक कार्निया एकत्र किए हैं, जो देश में कार्निया प्रत्यारोपण की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक साबित हो रहे हैं।
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