India News (इंडिया न्यूज),Delhi Air Pollution: दिल्लीवासियों की सांसें फिर से खतरे में हैं, क्योंकि पराली जलाने का धुआं एक बार फिर राजधानी के वातावरण को प्रदूषित करने वाला है। भले ही 2020 से 2023 के बीच पराली जलाने की घटनाओं में 50% से अधिक की कमी आई हो, लेकिन पंजाब और हरियाणा के कुछ जिले अब भी इस पर काबू पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अनुसार, 2020 में जहां 87,632 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 39,186 पर आ गया, जोकि 50% से अधिक की गिरावट दर्शाता है।
हालांकि, 2023 में पंजाब के अमृतसर, सास नगर, और पठानकोट जिलों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जबकि हरियाणा के रोहतक, भिवानी, फरीदाबाद, झज्झर, और पलवल जिलों में भी स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। इन आठ जिलों पर सीएक्यूएम ने विशेष निगरानी शुरू की है और लोगों को जागरूक करने के साथ ही पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।
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प्रदूषण का यह खतरा 15 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच चरम पर पहुंच जाता है, जब खेतों में धान की कटाई के बाद धड़ल्ले से पराली जलाई जाती है। इसी दौरान दीपावली का त्योहार भी आता है, जब पटाखों का धुआं और पराली का धुआं मिलकर दिल्ली की हवा को जहरीला बना देते हैं। प्रदूषण नियंत्रण के सभी प्रयासों के बावजूद, इन आठ जिलों में पराली जलाने की घटनाओं पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बिगड़ने से रोकने के लिए सख्त निगरानी और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि पराली जलाने की घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके।
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