इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
दिल्ली (Delhi) में एक नाबालिग बच्चे ने अपने बीमार पिता की जान बचाने के लिए उन्हें अपने लीवर का हिस्सा दान करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका कर्ता ने कहा कि पिता का लीवर खराब होने के कारण वह अंतिम स्थिति में है। अदालत ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बाइलरी साइंसेज (आईएलबीएस) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
Delhi High Court
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने याचिका कर्ता 17 साल और 9 महीने के इस लड़के की ओर से उसकी मां के द्वारा दायर याचिका पर दोनों पक्षों को तीन दिनों में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं अदालत ने मामले की सुनवाई 24 सितंबर तय करते हुए आईएलबीएस के एक जिम्मेदार अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में मौजूद रहने का निर्देश भी दिया है।
याचिका में कहा गया है कि लड़के की मां और बड़े भाई को चिकित्सकीय आधार पर अंगदान करने से मना कर दिया गया है और अब उसे भी इसके लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है।
याचिका में अस्पताल के उस आदेश को भी चुनौती दी गई है जिसमें बीमार पिता को अपने लीवर का हिस्सा दान करने के लिए उसके आवेदन को अस्पताल ने खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों द्वारा दिमाग का उपयोग नहीं किया गया क्योंकि नियम असाधारण परिस्थितियों में एक नाबालिग द्वारा जिगर का हिस्सा दान करने की अनुमति देता है, जिस पहलू को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
याचीका के अनुसार लड़के का मामला असाधारण प्रकृति का है और डॉक्टरों की राय के अनुसार, तत्काल प्रत्यारोपण की आवश्यकता है इसलिए आवश्यक अनुमति दी जानी चाहिए। मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम के अनुसार नाबालिग द्वारा मानव अंग या ऊतक दान करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और एक नाबालिग को भी सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से अंग और ऊतक दान करने की अनुमति है।
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