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इस साल कब मनाई जाएगी Akshaya Navami? जानें शुभ योग, पूजा विधि और पौराणिक कथा

Akshaya Navami Date and Time: कार्तिक मास में त्योहारों की कोई कमी नहीं होती. करवा चौथ, दीपावली, छठ पूजा जैसे बड़े त्योहारों के बाद नंबर आता है अक्षय नवमी (Akshaya Navami) का इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है. इस दिन को लेकर भी लोगों को कंफ्यूजन है कि यह पर्व 30 को है या 31 अक्टूबर को तो आइए जानें इस पर्व की सही तारीख, शुभ योग, पूजा विधि और पौराणिक कथा के बारे में.

अक्षय नवमी की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी ने इस व्रत की शुरुआत की थी. एक बार वे पृथ्वी लोक पर आईं और मन में विचार किया कि भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की संयुक्त पूजा कैसे की जाए. उन्हें याद आया कि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है, और बेलपत्र भगवान शिव को और आंवला वृक्ष में दोनों के गुण मौजूद होते हैं. इसलिए उन्होंने आंवले के वृक्ष को दोनों देवताओं का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव स्वयं वहां प्रकट हुए. माता लक्ष्मी ने आंवले के नीचे भोजन बनाया, देवताओं को भोग लगाया और फिर स्वयं भी वहीं भोजन किया. तभी से अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे भोजन करने की परंपरा चली आ रही है. इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने, दान करने और उसके नीचे भोजन करने से पुण्य कभी समाप्त नहीं होता.

 

कब है अक्षय नवमी 2025?

हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी की तिथि 30 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:06 बजे प्रारंभ होगी और 31 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि (सूर्योदय के समय की तिथि) को मानते हुए, इस वर्ष अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

अक्षय नवमी के शुभ योग और मुहूर्त

इस बार अक्षय नवमी पर कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है —

  • वृद्धि योग – 31 अक्टूबर को सुबह 06:17 बजे से पूरे दिन रहेगा.
  • रवि योग – पूरे दिन विद्यमान रहेगा, जो सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है.
  • शिववास योग – इस दिन शिव की कृपा भी बनी रहेगी, जिससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है.

इन शुभ योगों में पूजा, दान और स्नान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

 

पूजा विधि इस प्रकार है:

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और जल अर्पित करें.
भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव का ध्यान करें.
वृक्ष पर रोली, अक्षत, फूल और जल चढ़ाएं.
वृक्ष के नीचे परिवार सहित भोजन करें या ब्राह्मण को भोजन करवाएं.

shristi S

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