Chhath Puja 2025 Sandhya Arghya Dos and Don’ts
संध्या अर्घ्य के दिन का आरंभ व्रती के लिए गहन तपस्या के साथ होता है. खरना के बाद से व्रती पूर्ण निर्जला उपवास रखते हैं न अन्न, न जल. अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक यह व्रत जारी रहता है. शाम ढलने से पहले व्रती और उनके परिजन सभी पूजा सामग्री लेकर घाट या घर के आंगन में बनाए गए जलकुंड के पास पहुंचते हैं. चारों ओर दीपों की रोशनी, सूप में सजे हुए ठेकुआ, फल, गन्ना, और नारियल सब कुछ एक अलौकिक वातावरण तैयार करते हैं. व्रती पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं महिलाएं प्रायः साड़ी में और पुरुष धोती-कुर्ते में. वातावरण में शंख-घंटियों की ध्वनि और “छठी मैया के गीतों” की मधुर लय गूंजती है.
सूर्यास्त के समय व्रती सूप (बांस की बनी टोकरी) में पूजा सामग्री रखकर, जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं.
छठ पूजा में शुद्धता सर्वोच्च मानी गई है। इसीलिए संध्या अर्घ्य के दिन कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं —
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