संबंधित खबरें
Today Horoscope: इस 1 राशि की किस्मत में लिखा है आज बड़ा बदलाव, तो इन 3 जातकों को मिलेगा उनका बिछड़ा प्यार, जानें आज का राशिफल
साल 2025 लगते ही पूरे 12 साल के बाद गुरु करेंगे मिथुन और कर्क राशि में प्रवेश, जानें कितने फायदों से भर देंगे आपका दामन?
साल 2025 के पहले ही दिन घर के मैन डोर पर बांध दे बस ये एक चीज, पूरा साल धन-धान्य से भर देंगी मां लक्ष्मी
फर्जी है Christmas Tree? नहीं है बाइबल से कोई कनेक्शन, सिर्फ एक छोटी सी चीज पहुंचाती है ईश्वर तक
पांडव-कौरव नहीं…ये है Mahabharat का असली पापी, छुपकर चली ऐसी चाल…भगवान कृष्ण भी नहीं पाए रोक?
रावण से भी दो कदम आगे था लंका का ये राक्षस, कुंभकर्ण को भी देता था बड़ी टक्कर, था इतना खतरनाक की लंकावासी भी खाते थे खौफ!
India News (इंडिया न्यूज), Christmas day 2024: नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश… इन सभी राज्यों में एक बात समान है। ये ईसाई बहुल राज्य हैं। फिर भी ईसाई आबादी के मामले में केरल सबसे ऊपर है। दुनिया में ईसाइयों की सबसे ज्यादा आबादी अमेरिकी देशों में है। इसके बाद यूरोप और दूसरे महाद्वीप आते हैं। केरल में ईसाइयों की आबादी यूं ही ज्यादा नहीं है। इसके पीछे की वजह है वो ऐतिहासिक घटना जिसकी वजह से भारत में ईसाई धर्म की नींव पड़ी। इसकी शुरुआत केरल से ही हुई।
केरल, गोवा, मिजोरम… ईसाई धर्म को मानने वाले ज्यादातर लोग इन्हीं राज्यों में रहते हैं। भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत कब और कैसे हुई, आइए इसे भी समझते हैं।
ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के 12 शिष्य थे, जिन्होंने इस धर्म को दुनिया में फैलाने के लिए 11 अलग-अलग रास्तों पर चलना शुरू किया। ईसाई धर्म को फैलाने के लिए उनके 12वें शिष्य सेंट थॉमस 52 ई. में समुद्री रास्ते से भारत के दक्षिणी तट पर पहुंचे।
जिस समय वे भारत आए, उस समय यहां चोल वंश का साम्राज्य फैला हुआ था। उनकी भारत यात्रा केरल के मालाबार तट से शुरू हुई। वे 20 साल तक केरल और तमिलनाडु में रहे। सेंट थॉमस ने भारत के पलायुर में एक चर्च की स्थापना की और इसे धार्मिक स्थल के रूप में प्रचारित किया। इस चर्च को सेंट थॉमस चर्च के नाम से जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे पुराने चर्च का दर्जा मिला। इसके बाद उन्होंने भारत में 6 और चर्च की नींव रखी। जो ईसाइयों के प्रसिद्ध प्रार्थना स्थल के रूप में जाने गए।
कहा जाता है कि भारत में धर्म का प्रचार करने के बाद वे भारत के पूर्वी तट पर पहुंचे और यहां से चीन को पार किया। कुछ समय बाद वे भारत लौट आए और चेन्नई में बस गए। उन्होंने यहां के लोगों को ईसाई धर्म की शिक्षा देनी शुरू की, लेकिन यहां के लोगों ने उनका विरोध किया। चेन्नई के लोगों ने ईसाई धर्म स्वीकार नहीं किया। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यहां के लोगों ने सेंट थॉमस को प्रताड़ित किया। उनकी हत्या एक गुफा में कर दी गई। चेन्नई की उस गुफा को थॉमस माउंट के नाम से जाना जाता है। 1523 में पुर्तगालियों ने उनकी कब्र पर एक चर्च बनवाया था। बड़ी संख्या में ईसाई वहां आते हैं।
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जिस समय सेंट थॉमस भारत आए थे, उस समय यूरोपीय देशों में भी ईसाई धर्म नहीं था। यूरोपीय देशों से पहले भारत में ईसाई धर्म अपनी जड़ें जमा चुका था। देश के चर्चों में एक बार फिर क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में तरह-तरह की क्रिसमस चाय और केक उपलब्ध हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में क्रिसमस के आयोजनों के लिए सजावट चल रही है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.