ADVERTISEMENT
होम / धर्म / फर्जी है Christmas Tree? नहीं है बाइबल से कोई कनेक्शन, सिर्फ एक छोटी सी चीज पहुंचाती है ईश्वर तक

फर्जी है Christmas Tree? नहीं है बाइबल से कोई कनेक्शन, सिर्फ एक छोटी सी चीज पहुंचाती है ईश्वर तक

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : December 24, 2024, 1:35 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

फर्जी है Christmas Tree? नहीं है बाइबल से कोई कनेक्शन, सिर्फ एक छोटी सी चीज पहुंचाती है ईश्वर तक

Christmas Day: क्रिसमस डे के समय ‘क्रिसमस ट्री’ सजाना एक परंपरा है

India News (इंडिया न्यूज), Christmas Day: क्रिसमस डे के समय ‘क्रिसमस ट्री’ सजाना एक परंपरा है, क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा का बाइबल से कोई संबंध नहीं है? बाइबल में क्रिसमस ट्री का कोई उल्लेख नहीं है, फिर भी यह सदियों से क्रिसमस के जश्न का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। आइए जानते हैं इसके पीछे का इतिहास और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व।

क्रिसमस ट्री की शुरुआत का इतिहास

दरअसल, ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। यह प्रथा 16वीं शताब्दी के आसपास शुरू हुई, जब ईसाई परिवारों ने अपने घरों में देवदार के पेड़ सजाना शुरू किया।

  • चीड़ के पेड़ को जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता था।
  • यह परंपरा प्राचीन बुतपरस्त धर्म से प्रेरित है, जहाँ सर्दियों के मौसम में हरियाली को आशा और नए जीवन का प्रतीक माना जाता था।

धार्मिक संदर्भ और ईसाई परंपरा

हालाँकि क्रिसमस ट्री का उल्लेख बाइबल में नहीं है, लेकिन इसे ईसा मसीह के जन्म के प्रतीकात्मक अर्थ से जोड़ा गया है।

  • हरियाली: यह जीवन और अमरता का प्रतीक है।
  • 2. तारा और रोशनी: पेड़ पर लगा तारा बेथलेहम के तारे का प्रतिनिधित्व करता है, जिसने तीन बुद्धिमान पुरुषों (मैगी) को ईसा मसीह तक पहुँचने का रास्ता दिखाया।
  • गोलाकार: ये दुनिया और ईश्वर की कृपा का प्रतीक हैं।

क्रिसमस खराब करने आता है सैंटा क्लॉज का ये दुश्मन, शक्ल पर दिखती है ‘बड़े दिन’ से गंदी नफरत, जानें क्या है वजह

बुतपरस्त से ईसाई परंपरा में बदलाव

रोमन और जर्मन बुतपरस्त परंपराओं में, सर्दियों के दौरान घर में चीड़ और हरियाली से जुड़ी अन्य चीज़ें लाने की प्रथा थी। इसे बुरी आत्माओं को दूर रखने और सौभाग्य को आमंत्रित करने का प्रतीक माना जाता था।

  • ईसाई धर्म ने इस परंपरा को अपनाया और इसे ईसा मसीह के जन्म और जीवन के प्रतीक में बदल दिया।
  • क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा 19वीं सदी में ब्रिटिश और अमेरिकी संस्कृति में व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गई।

क्रिसमस ट्री सजाने का उद्देश्य

क्रिसमस ट्री न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह उत्सव और खुशी का भी प्रतीक है। इसे सजाने का मुख्य उद्देश्य परिवार और दोस्तों के साथ सामूहिक आनंद और एकता का अनुभव करना, घरों में रोशनी और सुंदरता लाना और बच्चों को प्यार और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में सिखाना है।

क्या इसका उल्लेख बाइबिल में है?

बाइबिल में क्रिसमस ट्री का कोई उल्लेख नहीं है। हालाँकि, कुछ ईसाई इसे बाइबिल की शिक्षाओं से जोड़ते हैं। यिर्मयाह 10:2-4 में लकड़ी के पेड़ों को काटने और सजाने का उल्लेख है, लेकिन यह संदर्भ क्रिसमस से नहीं, बल्कि मूर्तिपूजा से संबंधित है। वहीं, बाइबिल में क्रिसमस ट्री का उल्लेख न होने के बावजूद इसे ईसा मसीह के प्रतीकात्मक अर्थ से जोड़ा गया है।

आधुनिक समय में क्रिसमस ट्री का महत्व

आज के समय में क्रिसमस ट्री केवल धार्मिक प्रतीक नहीं रह गया है, यह उत्सव का प्रतीक बन गया है। इसे सजाने के लिए

  • लाइट्स, सितारे, घंटियाँ और उपहारों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह परिवारों को एक साथ लाने और बच्चों को खुशियाँ देने का माध्यम बन गया है।

कौन थे भारत के पहले मुस्लिम CJI? आखिरी इच्छा ने मरते-मरते बना दिया था हिंदू, जानें क्यों अमर है उनकी कहानी?

Tags:

Christmas 2024Christmas dayChristmas tree

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT