India News (इंडिया न्यूज), Christmas Day: क्रिसमस डे के समय ‘क्रिसमस ट्री’ सजाना एक परंपरा है, क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा का बाइबल से कोई संबंध नहीं है? बाइबल में क्रिसमस ट्री का कोई उल्लेख नहीं है, फिर भी यह सदियों से क्रिसमस के जश्न का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। आइए जानते हैं इसके पीछे का इतिहास और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व।
दरअसल, ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। यह प्रथा 16वीं शताब्दी के आसपास शुरू हुई, जब ईसाई परिवारों ने अपने घरों में देवदार के पेड़ सजाना शुरू किया।
Christmas Day: क्रिसमस डे के समय ‘क्रिसमस ट्री’ सजाना एक परंपरा है
हालाँकि क्रिसमस ट्री का उल्लेख बाइबल में नहीं है, लेकिन इसे ईसा मसीह के जन्म के प्रतीकात्मक अर्थ से जोड़ा गया है।
रोमन और जर्मन बुतपरस्त परंपराओं में, सर्दियों के दौरान घर में चीड़ और हरियाली से जुड़ी अन्य चीज़ें लाने की प्रथा थी। इसे बुरी आत्माओं को दूर रखने और सौभाग्य को आमंत्रित करने का प्रतीक माना जाता था।
क्रिसमस ट्री न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह उत्सव और खुशी का भी प्रतीक है। इसे सजाने का मुख्य उद्देश्य परिवार और दोस्तों के साथ सामूहिक आनंद और एकता का अनुभव करना, घरों में रोशनी और सुंदरता लाना और बच्चों को प्यार और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में सिखाना है।
बाइबिल में क्रिसमस ट्री का कोई उल्लेख नहीं है। हालाँकि, कुछ ईसाई इसे बाइबिल की शिक्षाओं से जोड़ते हैं। यिर्मयाह 10:2-4 में लकड़ी के पेड़ों को काटने और सजाने का उल्लेख है, लेकिन यह संदर्भ क्रिसमस से नहीं, बल्कि मूर्तिपूजा से संबंधित है। वहीं, बाइबिल में क्रिसमस ट्री का उल्लेख न होने के बावजूद इसे ईसा मसीह के प्रतीकात्मक अर्थ से जोड़ा गया है।
आज के समय में क्रिसमस ट्री केवल धार्मिक प्रतीक नहीं रह गया है, यह उत्सव का प्रतीक बन गया है। इसे सजाने के लिए