गवी गंगाधरेश्वर मंदिर का इतिहास
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में कैम्पे गौड़ा ने करवाया था। बाद में, 16वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। मंदिर का नाम “गवी गंगाधरेश्वर” इस कारण पड़ा क्योंकि इसे एक गुफा के अंदर स्थित किया गया है (गवी का अर्थ है गुफा) और यहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी वास्तुकला भी बेहद आकर्षक और रहस्यमयी है।
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स्वयंभू शिवलिंग
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयंभू है, यानी यह शिवलिंग किसी इंसान द्वारा नहीं बनाया गया, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। मान्यता है कि गौतम ऋषि ने यहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और तभी से इस स्थान पर शिवलिंग की पूजा की जाती है। स्वयंभू शिवलिंग का अस्तित्व इस मंदिर को और भी अधिक रहस्यमयी बनाता है और भक्तों की आस्था को बढ़ाता है।
मकर संक्रांति पर होने वाला अद्भुत चमत्कार
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर के बारे में सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी घटना हर साल मकर संक्रांति के दिन घटित होती है। मकर संक्रांति के दिन, जब सूर्य उत्तरायण होते हैं, तो इस मंदिर में सूर्य देव की किरणें भगवान शिव के स्वयंभू शिवलिंग तक पहुंचती हैं। यह अद्भुत घटना सिर्फ 5 से 8 मिनट के लिए होती है, और इस दौरान सूर्य की किरणें शिवलिंग पर पड़ती हैं, जो एक प्रकार से अभिषेक का रूप धारण करती हैं।
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यह दृश्य अत्यधिक भव्य और दिव्य होता है, और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आते हैं। इस घटना को आमतौर पर सूर्यास्त के समय देखा जाता है। खास बात यह है कि पूरे साल के अन्य दिनों में सूर्य की किरणें शिवलिंग तक नहीं पहुंच पातीं। केवल मकर संक्रांति के दिन ही यह चमत्कार घटित होता है, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं।
मंदिर की वास्तुकला: नक्षत्र विज्ञान का अद्भुत उदाहरण
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर की वास्तुकला भी बेहद अद्वितीय है। यह मंदिर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर स्थित है, और इसे इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि साल में केवल एक बार सूर्य की किरणें शिवलिंग तक पहुंच सकें। इस खास वास्तुशिल्प का पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाला वास्तुकार नक्षत्र विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र में प्रवीण था। यह मंदिर न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
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क्यों है यह मंदिर इतना खास?
- स्वयंभू शिवलिंग: यह शिवलिंग न केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है, बल्कि इसे महर्षि गौतम द्वारा पूजा करने की मान्यता है।
- मकर संक्रांति का चमत्कार: सूर्य देव के द्वारा शिवलिंग का अभिषेक केवल मकर संक्रांति के दिन ही होता है, जो एक अलौकिक घटना है। इस दिन सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर पड़ती हैं, जो भक्ति और आस्था का एक बड़ा प्रतीक है।
- वास्तुकला और नक्षत्र विज्ञान: मंदिर की वास्तुकला इस तरह से डिजाइन की गई है कि केवल मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणें शिवलिंग तक पहुंच सकें। यह वास्तुकला और नक्षत्र विज्ञान का अद्भुत संगम है।
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर न केवल कर्नाटका के धार्मिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह एक रहस्यमयी और चमत्कारी स्थल भी है। यहां हर साल मकर संक्रांति के दिन होने वाली सूर्य की किरणों से शिवलिंग का अभिषेक एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जो भक्तों को आस्था और श्रद्धा से भर देता है। इस मंदिर की वास्तुकला और इतिहास भी इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। यदि आप धार्मिक और रहस्यमयी स्थलों में रुचि रखते हैं, तो गवी गंगाधरेश्वर मंदिर एक ऐसी जगह है जिसे आपको जरूर देखना चाहिए।
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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।