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गुजराती नव वर्ष आज, जानें क्या है इसका धार्मिक महत्व और इतिहास?

Bestu Varas 2025: भारत में हर क्षेत्र का अपना अलग सांस्कृतिक और धार्मिक रंग है और हर क्षेत्र में नए साल के स्वागत के अलग-अलग तरीके हैं. जैसे हिंदू नव वर्ष चैत्र माह में आता है, तमिल नव वर्ष ‘पुथांडु’ अप्रैल में मनाया जाता है और गुजराती नव वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है. वैसै ही वर्ष 2025 में गुजराती नव वर्ष आज यानी 22 अक्टूबर को है. यह दिन गुजरात में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है और व्यापारियों से लेकर सामान्य परिवारों तक के लिए अत्यंत महत्व रखता है.

गुजराती नव वर्ष का नाम और अर्थ

गुजराती नव वर्ष को आमतौर पर ‘बेस्तु वरस’, ‘वर्ष-प्रतिपदा’ या ‘पड़वा’ कहा जाता है. ‘बेस्तु वरस’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘नया साल’. यह दिन न केवल नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि इसे पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से समाज और परिवार के लिए खुशहाली और समृद्धि की दुआ के रूप में मनाया जाता है.

इतिहास और धार्मिक महत्व

गुजराती नव वर्ष का इतिहास भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ा है. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को यह सिखाया कि उनका असली धर्म अपने गांव, अपनी फसल और मवेशियों की सुरक्षा करना है, न कि किसी देवता को प्रसाद चढ़ाकर वर्षा की कामना करना. गोकुलवासियों ने कृष्ण की बात मानी और इंद्रदेव की पूजा करना बंद कर दिया. इससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और सात दिन और सात रातों तक गोकुल में प्रकोप लाए. इस संकट में भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों और मवेशियों की रक्षा की. इसके बाद, इंद्रदेव ने अपनी गलती मानी और क्षमा याचना की. तब से गुजराती नव वर्ष के दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने की परंपरा बन गई. इसे ‘बेस्तु वर्ष’ के रूप में मनाना, वर्ष के अच्छे आरंभ का प्रतीक बन गया.

गुजराती नव वर्ष मुहूर्त 2025

  • तिथि: बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
  • प्रतिपदा प्रारंभ: 21 अक्टूबर 2025, शाम 5:54 बजे
  • प्रतिपदा समाप्त: 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16 बजे
  • वर्तमान हिंदू वर्ष: विक्रम संवत 2081
  • नया विक्रम संवत वर्ष आरंभ: 2082

बेस्तु वर्ष के अनुष्ठान

गुजराती नव वर्ष का सबसे प्रमुख अनुष्ठान है चोपड़ा पूजन.  इसका मतलब होता है पुराने खाता-बही को बंद करके नए चोपड़ा को देवी लक्ष्मी और सरस्वती की उपस्थिति में खोलना होता है. नए बहीखातों पर ‘शुभ’ और ‘लाभ’ लिखकर स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है, जिससे नए वित्तीय वर्ष में समृद्धि और लाभ की कामना होती है.  यह दिन व्यापारियों के लिए विशेष महत्व रखता है. हालांकि दिवाली के दिन व्यवसाय बंद रहते हैं, लेकिन लाभ पंचमी के दिन चोपड़ा पूजन और बहीखाते की शुरुआत बड़े धूमधाम से की जाती है.

गुजराती नव वर्ष की तैयारी और उत्सव

गुजराती नव वर्ष पर घरों की सफाई और सजावट की जाती है. लोग सुबह जल्दी उठते हैं, मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और अपने घरों को दीपकों और रंगोली से सजाते हैं. इस दिन मिठाइयां बनाई जाती हैं, पटाखे जलाए जाते हैं और परिवार व मित्रों के साथ मिलकर खुशी मनाई जाती है.

गुजराती नव वर्ष की शुभकामनाएं

इस खास दिन पर गुजराती नव वर्ष की शुभकामनाएं देना एक परंपरा है. आप अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को ‘साल मुबारक’ कहकर नए साल की खुशियों और समृद्धि की शुभकामनाएं दे सकते हैं. यह दिन न केवल नए आरंभ का प्रतीक है, बल्कि एकता, खुशहाली और परंपरा की याद दिलाने वाला भी है.

shristi S

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